<p>हिमाचल प्रदेश में 25 साल बाद ऐसा संयोग बना है कि प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। इस बार सूर्यग्रहण 21 जून रविवार होने वाला है। ये ग्रहण सुबह 10.23 मिनट पर आरंभ होगा और यह अधिकतम 12.03 मिनट पर होगा और दोपहर 1.48 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण दोपहर के आसपास 95 प्रतिशत होगा। दोपहर 12:00 बजे के करीब ग्रहण के समय रात जैसा अंधेरा कुछ समय के लिए देखा जाएगा।</p>
<p>हिमाचल प्रदेश साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने सभी लोगों से यह अपील की है कि इस ग्रहण को नग्न आंखों से देखना क्योंकि यह आंखों के लिए काफी नुकसानदायक है। इसीलिए 25 सालों बाद आए इस खगोलीय घटना को देखने और अनुभव करने के लिए हिमाचल प्रदेश साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने विशेष व्यवस्था की है। 21 जून को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर पदम देव कंपलेक्स में विशेष सोलर फिल्टर्स की मदद से यह सूर्य ग्रहण दिखाया जाएगा। इसके अलावा राज्य सचिवालय में भी ग्रहण को देखने की व्यवस्था की जाएगी। इसका उद्देश्य ग्रहण से जुड़े तमाम अंधविश्वासों को दूर करना है । हिमकोस्ट ने सभी जिलों के प्राथमिक शिक्षा उपनिदेशकों से सोलर फिल्टर की व्यवस्था करने को कहा है, ताकि इस घटना को आम लोग भी देख सके। आम लोग अपने संबंधित जिलों में उप निदेशक प्राथमिक शिक्षा कार्यालय द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर सूर्य ग्रहण देख सकते हैं।</p>
<p>विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण विभाग के संयुक्त सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने बताया कि 1828 में भारत के आंध्रप्रदेश में सूर्य ग्रहण के दौरान सोलर न्यूक्लियर फ्यूजन देखा गया था। जिसमें यह देखा गया था कि सूरज में हीलियम और हाइड्रोजन गैस कैसे जलती है। इसके बाद 1919 में हुए सूर्य ग्रहण के समय देखा गया था की सूरज के पीछे एक तारा छिपा है जिसका आंशिक रूप उस वक्त देखा गया था। जिसमें डिफ्रेक्शन आफ लाइट की पुष्टि 1919 के इस सूर्य ग्रहण के समय हुई थी। 21 जून को होने वाला सूर्य ग्रहण भी काफी ऐतिहासिक रहने वाला है। हिमाचल प्रदेश में यह ग्रहण 95% रहेगा इसके इलावा पूरे भारत में करीब 99% देखा जाएगा। 21 जून के बाद ऐसा ग्रहण 2031 में देखा जा सकता है।</p>
<p>उन्होंने कहा कि 25 सालों के बाद लगने वाला ये ग्रहण करीब 95 प्रतिशत रहने वाला है। यमुनानगर के आसपास के क्षेत्रों में यह ग्रहण 99% रहने वाला है। ग्रहण से जुड़ी बहुत सी भ्रांतियां है, जिसको लेकर लोगों को जागरूक करवाना बहुत जरूरी है। इसलिए शिक्षा विभाग के साथ मिलकर जिला स्तर पर सोशल डिसटान्सिन को ध्यान में रखते हुए ही लोगों को ग्रहण के बारे में जुड़ी तमाम जानकारी दी जाए।</p>
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