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शहीद कैप्टन ‘सौरभ कालिया’, जिनकी शहादत की कसमें आज भी खाती हैं कारगिल की पहाड़ियां

<p>साल 1999 में हुआ कारगिल युद्ध न सिर्फ पाकिस्&zwj;तान पर भारत की विजय गाथा का उदाहरण है, बल्कि इसके साथ ही उन तमाम देश के वीर सपूतों का बलिदान स्तंभ भी है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सबकुछ कुर्बान करके शहादत को गले लगाया। वैसे तो ज्यादातर जवान युद्ध के दौरान शहीद हुए थे, लेकिन भारत का एक लाल ऐसा भी था, जिसकी कुर्बानी को कारगिल युद्ध की पहली शहादत माना गया। कारगिल युद्ध के पहले शहीद कैप्टन सौरभ कालिया…</p>

<p>एक ऐसी शहादत, जो जंग शुरू होने से पहले ही दी गई। ये कहानी है शहीद कैप्टन सौरभ कालिया और उनके पांच साथियों (नरेश सिंह, भीखा राम, बनवारी लाल, मूला राम और अर्जुन राम) की। सौरभ कालिया की उम्र उस वक्त 23 साल थी। उन्हें फौज की सेवा में बस एक महीने हुए थे, यहां तक कि उन्हें पहली सैलरी भी नहीं मिली थी, लेकिन इसी दौरान वो शहीद हो गए।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>पाक के नापाक हरकतों की दी थी जानकारी</strong></span></p>

<p>बता दें कि 23 साल के सौरभ कालिया भारतीय सेना की 4 जाट रेजीमेंट में कैप्&zwj;टन थे। उन्होंने ही सबसे पहले कारगिल में पाकिस्तानी सेना के नापाक इरादों की भारतीय सेना को जानकारी दी थी।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>घुसपैठ की मिली थी जानकारी</strong></span></p>

<p>कैप्टन सौरभ कालिया 5 मई 1999 की रात अपने पांच साथियों के साथ लद्दाख के बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग कर रहे थे। तभी उन्हें पाकिस्तानी घुसपैठियों की सूचना मिली। कैप्टन सौरभ उनसे लोहा लेने के लिए निकल पड़े। घुसपैठिए पहले से ही घात लगाये बैठे थे। उन्होंने कैप्टन सौरभ और उनके पांच साथियों को पकड़ लिया गया। फिर बंधक बनाकर 22 दिनों तक टॉर्चर किया। तीन हफ्ते बाद उनके शव क्षत-विक्षत हालत में भारतीय सेना को मिले। उनकी पहचान करना तक मुश्किल था। पाकिस्तानी घुसपैठियों की इस हरकत के खिलाफ देश के लोगों में काफी गुस्सा देखने को मिला था।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>जानिए सौरभ कालिया के बारे में</strong></span></p>

<p>सौरभ कालिया का जन्म 29 जून 1976 को अमृतसर में डा. एनके कालिया और विजया कालिया के घर हुआ था। सौरभ को बचपन से ही सेना में जानें का शौक था। वो अक्सर माता-पिता से इंडियन आर्मी की बातें किया करते थे।&nbsp; उनके घरवाले उस टाइम उनकी बातों को हंस कर टाल दिया करते थे। सौरभ ने 1997 में एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। उसके बाद भारतीय सैन्य अकादमी में उनका सिलेक्शन हो गया।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>जाट रेजीमेंट में मिली थी पोस्टिंग</strong></span></p>

<p>&nbsp;सौरभ कालिया ने 12 दिसंबर 1998 को भारतीय थल सेना में कमीशंड ऑफिसर के पद पर ज्वाइन किया। उनकी पहली पोस्टिंग 4 जाट रेजीमेंट की तरफ से कारगिल सेक्टर में हुई थी।&nbsp; जानकारी के मुताबिक, कैप्टन सौरभ कालिया सेना में नियुक्ति के बाद अपनी पहले महीने की सैलरी नहीं उठा पाए थे। उन्हें सेना ज्वाइन किए हुए मात्र एक महीने ही हुए थे। उन्हें पहली पोस्टिंग कारगिल में मिली थी।</p>

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