<p>लाहौल-स्पीति में एक युवती ईशिता खन्ना ने सामुदायिक मॉडल को अनूठी मिसाल बना दिया है। जनजातीय जिले के सीमांत गांव डेमूल में होम स्टे के जरिये लोगों ने पर्यटन कारोबार के इस मॉडल से टूरिज्म विशेषज्ञों को भी हैरान किया है। देश में पर्यटन कारोबार का यह अपनी तरह का पहला मॉडल बताया जा रहा है।</p>
<p>दिलचस्प है कि पर्यटन से होने वाली कमाई घरों में बराबर बंटती है जिसे पुरुष की बजाए घर की महिला को दिया जाता है। महिलाएं 25 से 30 लाख रुपये तक सालाना कमाई कर रही हैं।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>मिला चुका है टूरिज्म अवॉर्ड</strong></span></p>
<p>डेमूल गांव को सामुदायिक प्रबंधन से चलने वाले देश के सर्वश्रेष्ठ होम स्टे के लिए बीते साल 'आउट लुक' पत्रिका ने रिस्पांसिबल टूरिज्म अवॉर्ड से सम्मानित किया है। देहरादून की रहने वाली ईशिता ने स्थानीय लोगों से इलाके की जानकारी हासिल कर ईकोस्फीयर एनजीओ बनाया।</p>
<p>वर्ष 2008 में की गई यह शुरुआत एक अभियान के रूप में आगे बढ़ी। डेमूल गांव में अब रोटेशन सिस्टम पर सैलानियों की बुकिंग होती है। ईशिता की पहल से वजूद में आई एनजीओ ने सोशल मीडिया का सहारा लिया।</p>
<p>वहीं, कृषि, आईटी एवं जनजातीय विकास मंत्री डॉ रामलाल मारकंडा कहते हैं कि प्रतियोगिता के इस दौर में डेमूल गांव ने पर्यटन के क्षेत्र में सामुदायिक होम स्टे प्रबंधन का देश भर में एक मिसाल कायम की है।<br />
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