हिमाचल प्रदेश में नशा तस्करों के खिलाफ और अधिक सख्त नियम बनाए जाएंगे। जो लोग मादक पदार्थों की तस्करी में सम्मिलित पाए जाएंगे, उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी। यब बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य पुलिस मुख्यालय शिमला में नशीली दवाओं के सेवन और अवैध तस्करी के खिलाफ आयोजित अंतरराष्ट्रीय दिवस पर कही। उन्होंने कहा कि हिमाचल में नशा तस्करों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं। लेकिन इनमें से अधिकतर लोग पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से संबंधित हैं। इसलिए राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता नशा व्यापारियों के बारे में पड़ोसी राज्यों से जानकारी सांझा करना है।
युवाओं द्वारा सिंथैटिक ड्रग का प्रयोग चिंता का विषय
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में नशेड़ियों द्वारा चरस का अधिक प्रयोग किया जाता रहा है। लेकिन अब सिंथैटिक ड्रग का सेवन एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। नशीले पदार्थों की आदत न केवल व्यक्ति बल्कि उससे संबंधित लोगों तथा पूरे समाज पर पड़ता है। मादक पदार्थों के प्रयोग और तस्करी के कारण अपराध, बीमारी, सड़क हादसे, घरेलु हिंसा, गाली-गलौच, नौकरी छूटना तथा बेघर होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि नशाखोरी के विरूद्ध अभियान को एक जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए और किसी भी अभियान की कामयाबी के लिए जन भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अपराधियों को जल्द पकड़ने और तस्करी पर जानकारी सांझा करने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
फिंगर प्रिंट ब्यूरो CID विंग में लाने की घोषणा
मुख्यमंत्री ने अपराध का प्रभावी विश्लेषण करने के लिए फिंगर प्रिंट ब्यूरो को एफएसएल जुन्गा से वापस लेकर पुलिस विभाग के तहत सीआईडी विंग के नियंत्रण में लाने की घोषणा की। उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों की सुविधा के लिए पंथाघाटी के नजदीक राजपत्रित अधिकारियों के लिए मैस निर्माण की घोषणा की। साईबर क्राईम प्रयोगशाला को पुलिस विभाग को वापिस सौंपने की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिमला में पुलिस विभाग के गैर राजपत्रित कर्मचारियों के लिए मैस की मांग और पुलिस आरक्षी को अगले वेतनमान प्रदान करने के लिए आठ साल की सेवा शर्त को छूट देने की मांग को भी सरकार द्वारा जांचा जाएगा।