भवनों के नियामितिकरण की राह देख रहे हिमाचल के लगभग 35000 भवन मालिकों पर खतरे की तलवार लटक रही है। पहले सरकार की नियामितिकरण की पालिसी न्यायालय में लटकी रही बाद में एनजीटी के आदेश अब इन भवन मालिकों पर भारी पड़ते नज़र आ रहे हैं। जिसको लेकर अब समिति मुख्यमंत्री के पास जाकर गुहार लगाएगी।
अगले 3-4 दिनों में समिति ड्राफ्ट बनाकर मुख्यमंत्री से मिलेगी। समिति के अध्यक्ष गोविंद चतरांटा ने कहा कि उपनगरीय जनकल्याण समन्वय समिति इस मुद्दे को लेकर 22 सालों से संघर्ष कर रही है। एनजीटी का फैसला आने के बाद अब लोगों को टीसीपी की कार्यप्रणाली को लेकर जागरूक करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिमला शहर को लेकर डेवलपमेंट प्लान आखिर क्यों फाइनल नहीं हुआ, यह भी बड़ा सवाल है। वन टाइम सेटलमेंट को हमेशा क्यों टाल दिया गया?
एज इज वेयर इज की तर्ज पर डीम नियमितिकरण की मांग उठाई जाएगी। उन्होंने बताया कि सरकार जब भवनों के नियामितिकरण को लेकर एक्ट लाई तो शिमला के 8742 भवनों मालिकों ने अप्लाई कर दिया उसका भी कुछ नहीं हुआ। जब बड़े बड़े बिल्डरों को छूट दी गई है । सरकार के कई भवन नियमों के खिलाफ बने हैं उन पर तो सब चुप हैं। जबकि, जिन्होंने अपने खून पसीने की कमाई से भवन बनाएं हैं उनको गिराने की साजिश चल रही है।