एक ओर जहां जमीन की उर्वरता कम होने या अन्य कारणों से किसान कृषि से मुंह मोड़ रहे हैं। वहीं, बिलासपुर के एक किसान ने आधुनिक तरीके से खेती करके बागवानी के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है। इस किसान ने आठ बीघा से भी अधिक क्षेत्र में फैली अपनी जमीन पर कई प्रकार के फलों के पौधों को आधुनिक पद्धति से विकसित किया है।
जिला बिलासपुर की पंचायत डोबा के गांव करोट के प्रेम सिंह ठाकुर ने अपनी भूमि की हर छोटी से छोटी जगह को कृषि के लिए प्रयोग करते हुए अपनी आर्थिकी को भी सुदृढ़ किया है। प्रेम ने बताया कि उनके खेतों के पास से एक नहर गुजरने के कारण वह वहां पर कोई फसल नहीं उगा पा रहे थे। क्योंकि, वहां पर पानी ठहरा रहता था और इसके कारण कीचड़ फैला रहता था। उस जमीन पर अब बड़ी इलायची की फसल लहलहा रही है। यह आइडिया उन्हें एक कृषि भ्रमण से मिला।
प्रेम सिंह ने बताया कि उन्हें कृषक भ्रमण कार्यक्रम के जरिये एक अन्य राज्य में जाने का मौका मिला। वहां उन्होंने अत्यधिक नमी वाली भूमि पर बड़ी इलायची की फसल देखकर अपनी कीचड़ वाली बेकार पड़ी भूमि पर बड़ी इलायची लगाने की सोची। वह वहां से एक अच्छी नस्ल का इलायची का पौधा ले आए और अपनी जमीन में रोप दिया। इससे तीन वर्ष में एक विशाल झाड़ उग गया, जिसकी कलम निकालकर तीन फुट की दूरी पर रोपी। देखते ही देखते प्रेम सिंह ठाकुर ने एक पौधे से एक भरा पूरा इलायची का बागीचा विकसित कर दिया। इससे उसकी आमदन में एकदम उछाल आया है।
वहीं , विशेषज्ञ डाॅ आरके शर्मा, का कहना है कि किसानों के लिए इलायची की खेती वरदान साबित होग। इसके लिए किसानों को अधिक मेहनत भी नहीं करनी होती है। इसका पौधा तीन वर्ष के भीतर तैयार हो जाता है और पैदावार देने लगता है। बंदर औऱ अन्य जंगली जानवर भी इलायची के पौधे को नुकसान नहीं पहुंचाते।
बता दें कि एक बीघा भूमि में बड़ी इलायची की पैदावार 20 से तीस किलोग्राम तक रहती है और इसका बाजार भाव प्रति किलोग्राम 18 सौ से 25 सौ रुपये है। खाने में मसाले के रूप में इस्तेमाल के अतिरिक्त बड़ी इलायची को औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है। इसकी खेती किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मददगार हो सकती है।