हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल हुई है. प्रदेश में 68 में से 40 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया है वहीं, कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल में मुख्यमंत्री नादौन विधानसभा क्षेत्र से विजयी विधायक एवं कांग्रेस कैंपेन कमेटी के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू को घोषित किया है. उधर, उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को बनाया गया है. बताया जा रहा है कि कल यानि रविवार को सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री का शपथग्रहण रखा गया है.
सुक्खू का सियासी सफर
सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश में 5वीं बार विधायक चुने गए हैं. इस बार उन्होंने बीजेपी के विजय अग्निहोत्री को 3363 मतों के अंतर से हराया है. 26 मार्च 1964 को जन्मे सुखविंदर सिंह की पत्नी का नाम कमलेश ठाकुर है. उनकी दो बेटिया है. उनके पिता रसिल सिंह सरकारी कर्मचारी रह चुके हैं. उन्होंने नादौन विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया और एच.पी. विश्वविद्यालय से एलएलबी में डिग्री हासिल की है. सुक्खू ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत एक छात्र नेता के रूप में तब की थी. जब वह सरकारी कॉलेज संजौली, शिमला में छात्र थे. संजोली कॉलेज में पहले कक्षा के डीआर और एससीए के महासचिव चुने गए. उसके बाद राजकीय महाविद्यालय संजौली में एससीए के अध्यक्ष चुने गए.
वे कॉलेज छात्र संघ के महासचिव और अध्यक्ष रहे हैं. वह 1989 से 1995 के बीच NSUI के अध्यक्ष रहे. जिसके बाद 1999 से 2008 के बीच वे युवा कांग्रेस के प्रमुख भी रहे है. सुक्खू दो बार शिमला नगर पार्षद भी चुने गए थे. वह 2013 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख के पद तक पहुंचे और 2019 तक राज्य इकाई के प्रमुख बने रहे. 2003, 2007 और 2017 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से विधायक क्षेत्र से विधायक रहे.
सुक्खू का ये किस्सा बताता है राजनीति में कितनी है उनकी पकड़…
सुक्खू को भले की कांग्रेस में दशकों का समय हो गया हो, लेकिन उन्हें हमेशा से ही वीरभद्र सिंह के विरोधी गुट का नेता कहा जाता रहा है. किस्सा है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने का. 10 साल युवा कांग्रेस में रहने के बाद जब उन्होंने हमीरपुर जिले के नादौन से विधानसभा चुनाव लड़ा था तब वीरभद्र सिंह के कई फैसलों के विरोध में चले गए थे. हालांकि, उन्होंने यह चुनाव लड़ा भी था और जीता भी था. इसके साथ ही वह रिकार्ड समय साढ़े 6 साल तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. तीन साल पहले ही उन्हें इस पद से हटाया गया था. हालांकि, चुनावों से पहले हाईकमान ने उन्हें प्रदेश चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया था. जनता के बीच भी उनकी काफी गहरी पकड़ है.
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