भारत में 25-26 जून 1975 की दरम्यानी रात को आपातकाल लगाया गया था. इसे आजाद भारत के इतिहास के काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है. देश में इमरजेंसी 21 मार्च 1977 तक रही. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया था. यह देश में लगा पहला राष्ट्रीय आपातकाल था. देश में लगी इमरजेंसी की 50वीं बरसी के मौके पर हिमाचल प्रदेश सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे सुरेश भारद्वाज ने कांग्रेस पर निशाना साधा. भारद्वाज खुद भी इमरजेंसी के दौरान जेल में रहे हैं. उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार को तानाशाह करार दिया. उन्होंने कहा कि यह कला अध्याय है, जिसे आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा.
पूर्व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र की बड़ी-बड़ी दुहाई दे रही है, लेकिन वास्तव में कांग्रेस ने ही देते लोकतंत्र खत्म करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि नेहरु और गांधी परिवार पूरी तरह तानाशाही में ही विश्वास रखता है. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान लोगों को बिना किसी अपराध के जेल में डालने का काम किया गया था. लोगों की जेल में मौत भी हुई. भारद्वाज ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान बेवजह जेल में डाल दिया और उनके परिवार के लोगों को उनसे दूर करने का काम किया गया. इमरजेंसी के दौरान जबरन लोगों की नसबंदी की गई. इनमें कई युवा भी शामिल थे. भारद्वाज ने कहा कि जनता पार्टी का लोकतंत्र में पूर्ण विश्वास है, लेकिन कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखती. इसी वजह से देश में इमरजेंसी लागू की गई थी. उन्होंने कहा कि आज 50 साल बाद भी देश इसे लोकतंत्र में काले अध्याय के रूप में याद कर रहा है.
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