सन 1905 में कांगड़ा में आए भयानक भूकंप की तस्वीरें आज भी कहीं दिख जाएं. तो रूह कांप जाती है. 1905 में इस भूकंप ने 20000 लोगों की जिंदगी को लील लिया था.
सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे, कितनी ही जिंदगियां तबाह हो गई थी. ये हालात तब थे जबकि आज के मुकाबले जनसंख्या भी बहुत कम थी. अब यदि उस तरह का भूकंप आता है. तो हालात कैसे होंगे यह आप अंदाजा लगा सकते हैं. पहाड़ी इलाकों में भूकंप व अन्य आपदाओं से कैसे निबटना है.
इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र परिमहल में विज्ञान प्रसार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान भारत सरकार और एसआरसी शिमला की ओर से स्कूल के अध्यापकों के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया.
प्रशिक्षण शिविर में स्कूलों के अध्यापकों को बुलाया गया है और आपदा प्रबंधन के गुरु सिखाए जा रहे हैं. राज्य संसाधन केंद्र शिमला के निदेशक ओमप्रकाश ने बताया की भूकंप या अन्य आपदाओं की स्थिति में स्कूल में बच्चों का बचाव किस तरह से किया जाए इसके गुर अध्यापकों को सिखाए जा रहे हैं.
ताकि किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में बच्चों को सुरक्षित निकालकर जान-माल की नुकसान को कम किया जा सके. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं. जो स्कूली बच्चों के जीवन के लिए हमेशा खतरा बनती है.
वैसे भी भूकंप की दृष्टि से भी हिमाचल प्रदेश संवेदनशील है और ज़ोन 5 में आता है ऐसे में स्कूलों के अध्यापकों को आपदा प्रबंधन के बारे में जानकारी देना बहुत जरूरी है.