प्रदेश और केंद्र सरकार स्कूल-कॉलेज में खेलों को बढ़ावा देने के दावे करती है, लेकिन विश्व स्तरीय खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके होनहार खिलाड़ियों की गुमनाम जिंदगी सरकार के तमाम दावों को खोखला साबित कर रही है। गरली के दयाल (नैहरनपुखर) पंचायत की लॉन टेनिस खिलाड़ी श्वेता राणा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
अंडर-14 एवं 16 में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी श्वेता राणा ने 2014 में कोरिया एशियन गेम्स में सानिया मिर्जा की अगुवाई में महिला टेनिस टीम खिलाड़ी के रूप में भाग लिया था। उसके बाद भी उन्होंने देश-विदेश में आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर देश का नाम रोशन किया, परंतु पैसे की कमी एवं प्रशिक्षण में आने वाली विभिन्न अड़चनों ने 24 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी श्वेता राणा के करियर पर ब्रेक लगा दी है।
श्वेता की माता अंजु राणा का कहना है कि श्वेता 2018 एशियन गेम्स में इसी वजह से भाग नहीं ले पाई। उनका कहना है कि प्रदेश में लॉन टेनिस जैसे खेल के प्रशिक्षण के लिए कोई सुविधा नहीं है। दिल्ली जैसे शहर में रहकर महंगा प्रशिक्षण करना श्वेता के लिए संभव नहीं है।
अंजु का कहना है कि बेटी के बिखरते करियर को संवारने के लिए उनके परिवार ने प्रदेश सरकार से कई बार गुहार लगाई, पर कोई नतीजा नहीं निकला। उधर, श्वेता का कहना है कि उनका सपना लॉन टेनिस में एशियन एवं ओलंपिक गोल्ड लाकर देश का नाम रोशन करने का था, लेकिन आर्थिक तंगी और सरकार की बेरुखी ने उनके खेल करियर पर ब्रेक लगा दिया है।
श्वेता का कहना है कि एशियन खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद उन्हें कोई आर्थिक मदद देना तो दूर, सरकार ने किसी छोटे-मोटे खेल समारोह में उन्हें सम्मानित करना भी जरूरी नहीं समझा। श्वेता की माता अंजु राणा गृहिणी एवं पिता केंद्रीय खेल प्राधिकरण में फुटबॉल के सीनियर कोच हैं।