मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार देर सायं वन विभाग एवं हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य के लिए राजस्व अर्जित करने के दृष्टिगत वन भूमि से सूखे पेड़ों का समयबद्ध कटान आवश्यक है. क्योंकि कुछ समय के उपरान्त यह नष्ट हो जाते हैं.
उन्होंने अधिकारियों को पेड़ों के प्रभावी चिन्हांकन, निष्कर्षण और निपटारा सुनिश्चित करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के निर्देश दिए. उन्होंने इमारती लकड़ी की ऑनलाइन बिक्री के लिए एक वेबसाइट विकसित करने पर भी बल दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में, राज्य में वन भूमि पर लगभग 86,874 सूखे एवं क्षतिग्रस्त पेड़ हैं. जिनसे लगभग 64,000 क्यूबिक मीटर इमारती लकड़ी का उत्पादन होने की उम्मीद है. उन्होंने वन भूमि पर इन पेड़ों के समय पर निष्कर्षण और निपटारे की सुविधा के लिए मासिक आधार पर चिन्हांकन सुनिश्चित करने पर बल दिया.
उन्होंने कहा कि इस दिशा में व्यवस्थित प्रयासों से इमारती लकड़ी को प्रदेश के राजस्व का एक मूल्यवान स्रोत बनाने की दिशा में यह कारगर सिद्ध होगा. समय पर सूखे पेड़ों की निकासी नहीं होने से प्रदेश को राजस्व की हानि होती है.
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सूखे पेड़ों की समय पर निकासी के लिए वन विभाग और हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम को आपसी सामंजस्य स्थापित कर कार्य करने के निर्देश दिए. वन विभाग को राज्य के निचले हिस्सों के कुछ वन क्षेत्रों में पायलट आधार पर शीघ्र निपटारे के लिए पेड़ों को चिह्नित करने, गिराने और 50 पेड़ों की सीमा के साथ लॉग में परिवर्तित करने का अधिकार देने का सुझाव भी दिया.
मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम में कर्मचारियों के युक्तिकरण की आवश्यकता पर भी बल देते हुए आश्वस्त किया कि राज्य सरकार उचित उपायों को लागू करके कर्मचारियों की कमी के मुद्दे का समाधान करेगी.