मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह के हाल ही में किन्नौर जिला के दौरे के दौरान प्रदेश हित में ऊर्जा क्षेत्र से सम्बधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और उनसे सहयोग करने का आग्रह किया.
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री के ध्यानार्थ प्रस्तुत किया कि केन्द्रीय संयुक्त उपक्रम सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एस.जे.वी.एन.एल.) व भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) के अधीन बनाई गई कई परियोजनाएं ऋण मुक्त हो चुकी हैं. जिनमें नाथपा झाकड़ी, रामपुर, भाखड़ा बांध, ब्यास सतलुज लिंक व पौंग बांध परियोजनाएं शामिल हैं.
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री के संज्ञान में लाया कि वर्तमान में एस.जे.वी.एन.एल. द्वारा संचालित नाथपा झाकड़ी परियोजना (1500 मैगावाट) व रामपुर परियोजना (412 मेगावाट) से प्रदेश को केवल 12 प्रतिशत की दर पर मुफ्त बिजली प्राप्त हो रही है.
जबकि एस.जे.वी.एन.एल. को इन ऋण मुक्त हो चुकी परियोजनाओं से लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में अनुबन्ध अवधि सीमा भी निर्धारित नहीं की गई है. यह प्रदेश हित में होगा कि इन परियोजनाओं में अन्य परियोजनाओं की भान्ति 40 वर्ष की समय अवधि निर्धारित करने के साथ-साथ मुफ्त बिजली की दरों में बढ़ोतरी की जाए.
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री के समक्ष एस.जे.वी.एन.एल. द्वारा कार्यन्वयन अनुबंध हस्ताक्षरित किए बिना ही लुहरी चरण-1 (210 मैगावाट), धौलासिद्ध (66 मैगावाट) व सुन्नी बांध (382 मैगावाट) का निर्माण कार्य शुरू करने का मामला भी उठाया.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बाद भी एस.जे.वी.एन.एल. द्वारा अनुबंध हस्ताक्षरित नहीं किया जा रहा है तथा ऊर्जा नीति में वर्णित प्रावधानों को मानने में भी आनाकानी की जा रही है. मुख्यमंत्री ने यह भी अवगत करवाया कि प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है.
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बी.बी.एम.बी. द्वारा संचालित भाखड़ा बांध परियोजना (1478 मैगावाट), ब्यास सतलुज लिंक (990 मैगावाट) व पौंग बांध परियोजना (396 मैगावाट) में किसी प्रकार की मुफ्त बिजली की रॉयल्टी नहीं दी जा रही है.
इसके कारण प्रदेश सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व से वंचित होना पड़ रहा है. हालांकि केन्द्रीय व राज्य सरकार द्वारा पारित ऊर्जा नीतियों में सभी परियोजनाओं से प्रदेश सरकार को मुफ्त बिजली रॉयल्टी के रूप में देने का प्रावधान किया गया है. जबकि बी.बी.एम.बी. द्वारा इन परियोजनाओं से प्रदेश सरकार को हिस्सेदारी के रूप में केवल मात्र 7.19 प्रतिशत बिजली निर्धारित दरों पर प्रदान की जा रही है. जो पर्याप्त नहीं है.
इन परियोजनाओं में उपयोग की गई भूमि व जल सम्पदा का सम्पूर्ण स्वामित्व हिमाचल प्रदेश का है और इसके लिए कई परिवारों को विस्थापित होना पड़ा. अतः इन परियोजनाओं में भी अन्य परियोजनाओं की भान्ति मुफ्त बिजली रॉयल्टी के रूप में दी जानी न्यायसंगत होगा.
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गंभीरतापूर्ण विचार कर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया.
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