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हिमाचल: मंदिरों में चढ़ने वाले सोने-चांदी के इस्तेमाल पर उपायुक्त लेंगे फैसला

प्रदेश सरकार के अधीन आते मंदिरों में चढ़ावे के रूप में मिले सोने और चांदी के उपयोग के संबंध में फैसला अब जिला उपायुक्त (मंदिर आयुक्त) ले सकेंगे। सरकार उपायुक्तों को पत्र भेजेगी जिसमें चढ़ाए गए सोना-चांदी के संबंध में फैसला लेने की शक्तियां प्रदान की जाएंगी।

डेस्क |

डेस्क। देवभूमि हिमाचल में मंदिरों को लेकर एक महत्वपूर्ण ख़बर सामने आई है। इसके तहत अब मंदिरों में चढ़ावे के रूप में मिले सोने और चांदी के उपयोग के संबंध में फैसला जिला उपायुक्त (मंदिर आयुक्त) ले सकेंगे। दैनिक अख़बार के मुताबिक, प्रदेश सरकार एक-दो दिन में उपायुक्तों को पत्र भेजेगी, जिसमें चढ़ाए गए सोना-चांदी के संबंध में फैसला लेने की शक्तियां प्रदान की जाएंगी। शक्तियों के तहत चढ़ावे वाले सोना-चांदी के सिक्के बनाकर विक्रय के लिए रखने हैं या फिर अन्य तरह से उपयोग में लाया जाना है, इस पर फैसला हो सकेगा।

अभी तक सरकार के अधीन आते मंदिरों में चढ़ने वाले सोना-चांदी का क्या उपयोग करना है इसकी कोई आधिकारिक व्यवस्था नहीं है। इस समय देवभूमि के अधिगृहित मंदिरों का चार क्विंटल से अधिक सोना और 1500 क्विंटल चांदी मंदिरों या सरकारी कोषागारों में सुरक्षित है। अब अगर बदलाव होगा तो इस सोना का कहीं न कहीं इस्तेमाल किया जा सकेगा।

सचिव भाषा कला एवं संस्कृति हिमाचल प्रदेश राकेश कंवर ने कहा कि मंदिर आयुक्त और जिला उपायुक्तों को पत्र लिखा जा रहा है कि मंदिरों को चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुए सोना-चांदी का किस तरह से उपयोग करना है। इस संबंध में केंद्रीय एजेंसियों से तालमेल कर चाहें तो सोने के सिक्के बना सकते हैं। सोने के बिस्किट और अन्य तरह का उचित उपयोग सुनिश्चित कर सकते हैं। अभी ऐसा कोई प्रविधान नहीं था कि सोने-चांदी का मर्जी से उपयोग किया जा सके।