<p>जिला मंडी की ऐतिहासिक स्थली पांगणा सुकेत क्षेत्र के लोकप्रिय लोकगीत लाड़ी सरजू की रंगभूमि रही है। इस लोकगीत का इतिहास सुकेत रियासत से जुड़ा है। सरजू सुकेत रियासत के राजदरबार की विख्यात नृत्यांगना थी। जिसका रूप लावण्य मनोहारी था। सरजू के व्यवहार में एक अजीब आकर्षण था। मजे की बात है कि सरजू के अनुपम सौंदर्य पर सुकेत का राजा भी मोहित हो गया था। सरजू की अलौकिक सुंदरता के कारण उसे लाड़ी शब्द से अभिहित किया गया है। लाड़ी का पहाड़ी बोली में अभिप्राय रूपसी नारी से है। लोक मान्यता है कि सरजू का न केवल रूप अनुपम था। बल्कि वह तंत्र विद्या में भी पारंगत था। उसकी सुंदरता के मुरीद सुकेत रियासत के नौ गढ़ के ठाकुर भी थे।</p>
<p>जैसा कि गीत में उल्लेखित है कि लाड़ी सरजूए नौ बोलो गढ़ा री मड़ेगी। अर्थात् सरजू नौ गढ़ों की स्वामिनी थी। सरजू के आंगन में पेड़ सूख गया है जो अशुभ है। गीत में ही सरजू कहती है कि यदि मर गई तो अतृप्त आत्मा होकर दोष से त्रस्त करूंगी, पर यदि जिंदा रही तो मटर में बैठूंगी। सरजू का प्रेमी सरजू की बेवफाई यानि राजा के साथ संबंधो को सहन न करते हुए सरजू के घर आतिथ्य में खिचड़ी खाने व मन के भावों के बखान का वर्णन प्रेमयुग की अभिव्यक्ति है। सुकेत संस्कृति साहित्य और जन कल्याण मंच पांगणा के अध्यक्ष डॉक्टर हिमेन्द्र बाली हिम और डॉ जगदीश शर्मा का कहना है कि सरजू का लोकगीत जहां नायिका के गुण-दोष का निरूपण करता है।</p>
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<p>वहीं, प्रेमावेश और समाज की भर्तसना का संदेश भी समाज को देता है। आज भी लाड़ी सरजू की नाटी श्रृंखलाबद्ध नृत्य में सबसे पहले गाई जाती है। लाड़ी सरजू की नाटी सुस्त लय में गाने का विधान है। निस्संदेह यह नाटी अपनी रागात्मकता और अंतर्वस्तु के लिए प्रसिद्ध है। जो ऐतिहासिकता और सामाजिकता के स्वरूप औऱ व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करती है। गत दिनों इसी सत्य घटना पर आधारित वास्तविक जगह पांगणा बेहड़े में सरजू गीत की शूटिंग भी पूर्ण हो गयी। सरजू लोकगीत की शूटिंग काफी चर्चा और आकर्षण का विषय बनी रही।</p>
<p>वजह बड़ी विचित्र है। क्योंकि इस ऐतिहासिक लोकगीत का सीधा संबंध पांगणा क्षेत्र से है। प्रेम गीत के पात्रों के निजी जीवन के अनुभवों की ताजगी और राजसी हुकुमत के दौर की रोमांचक घटना के समय के साथ अनेक पद बन गए। वहीं, शूटिंग में सक्रिय सहयोग के लिए रंजीत भारद्वाज और दल के सभी सदस्यों ने करसोग के विधायक हीरालाल और लोक निर्माण विभाग पांगणा के सहायक अभियंता संजय शर्मा तथा अन्य सभी स्थानीय सहयोगियों का आभार व्यक्त किया है।</p>
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