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ख़बर का असर: छात्र अभिभावक मंच निज़ी स्कूलों की लूट के ख़िलाफ़ लड़ेगा निर्णायक लड़ाई

<p>शिमला में छात्र अभिभावक मंच ने प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी, लूट खसोट और मनमानी के खिलाफ़ आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है। इस कड़ी में 10 मार्च को 11 बजे कालीबाड़ी हॉल में शहर के विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। मंच ने शहर के सभी सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से आह्वान किया है कि वे इस मीटिंग में अवश्य शामिल हों।</p>

<p>मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा और सह संयोजक बिंदु जोशी ने शिमला शहर में रहने वाले अभिभावकों से अपील की है कि वे प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और तानाशाही के खिलाफ खुलकर सामने आएं। उन्होंने शहर के सभी सामाजिक, राजनीतिक, छात्रों, युवाओं, महिलाओं, कर्मचारियों, मजदूरों, सिविल सोसाइटी संगठनों से इस मीटिंग में हिस्सेदारी करने की अपील की है।</p>

<p>मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि जब प्राइवेट स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ निर्णायक मोर्चा लिया जाए। इस लूट पर रोक लगाने के लिए जनता के सभी तबकों को लामबंद होना होगा अन्यथा भविष्य में शिक्षा केवल बाजार और व्यापार बनकर रह जायेगी। उन्होंने कहा कि &quot;पैसा लाओ-शिक्षा पाओ&quot; की संस्कृति पर अब फुल स्टॉप लगाने का समय आ गया है। अगर आज प्राइवेट स्कूलों की लूट खसोट और मनमानी को न रोका गया तो भविष्य की पीढ़ियों के लिए शिक्षा केवल एक सपना बनकर रह जायेगी और यह केवल अमीरों की बपौती बन जाएगी। इसलिए बेहद ज़रूरी है कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 सख्ती से लागू हो।</p>

<p>शिक्षा को प्रभावशाली तबके की जागीर बनने से रोकने और शिक्षा के सार्वभौमिकीकरण के लिए फीसों, पाठ्यक्रम और प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए ठोस कानून लाने की ज़रूरत है। प्राइवेट स्कूलों की तानाशाही और मनमानी इस कदर बढ़ चुकी है कि प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के उच्चतर शिक्षा निदेशक के आदेशों के बावजूद प्रदेश के 1472 में से केवल 53 स्कूलों ने ही नोटिस का जवाब दिया और 1419 स्कूलों यानिकि कुल स्कूलों के 96.4 प्रतिशत स्कूलों ने जवाब देने की जहमत तक नहीं उठाई। इसलिए अब सरकार को बेहद गम्भीर होने की आवश्यकता है ताकि समय रहते प्राइवेट स्कूलों की अराजकता और निरंकुशता पर रोक लगे।</p>

<p>मंच की सह संयोजक बिंदु जोशी ने कहा है कि प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने के लिए प्रदेश सरकार को गम्भीर होना होगा। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी केवल शिक्षा अधिकारियों के अखबारों में बयान देने से नहीं रुकेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट और हिमाचल हाई कोर्ट के आदेशों की अनुपालना सख्ती से करनी होगी और सख्त कानून बनाकर उसे हकीकत में लागू करना होगा। इसके लिए सरकार को ही पहलकदमी करनी होगी। अगर सरकार में इच्छाशक्ति हो तो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकना कोई कठिन कार्य नहीं है।</p>

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