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मंडी को नगर निगम बनाए जाने का मुद्दा, 13 पंचायतों के प्रतिनिधियों ने जताया कड़ा विरोध

<p>मंडी शहर को नगर निगम बनाए जाने के लिए साथ लगती 13 पंचायतों को नगर परिषद में मिलाए जाने की अधिसूचना जारी होने और इसके लिए दो सप्ताह में आपत्तियां दायर करने की 8 अक्तूबर की तारीख नजदीक आते देख इसके विरोध और पक्ष में ब्यानबाजी तेज हो गई है। सोमवार को जहां 13 पंचायतों से आए प्रतिनिधियों ने मंडी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नगर निगम में षामिल किए जाने को लेकर कड़ा विरोध जताया तो नगर परिशद मंडी के उपाध्यक्ष ने कहा कि इस सब को लेकर दुष्प्रचार करके लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। इससे पहले शहर की दो दर्जन संस्थाएं नगर निगम को लेकर पक्ष में उतर गई हैं।</p>

<p>ग्रामीण संघर्ष समिति मंडी ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए नगर निगम में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल करने पर जोरदार तरीके से अपना विरोध दर्ज किया। इस अवसर पर ग्रामीण संघर्ष समिति के अध्यक्ष रवि सिंह चंदेल ने कहा कि जिन 13 ग्राम पंचायतों के 25 ग्राम मुहालों को निगम में शामिल करने की अधिसूचना जारी करने से पूर्व इन ग्रामीण क्षेत्रों के किसी भी चुने हुये जन प्रतिनिधि की राय तक लेना मुनासिब नहीं समझा गया। ग्रामीण इलाकों के लोगों की बहुत सी चिंताएं है जिनका स्पष्टीकरण, निराकरण सरकार के किसी अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए।&nbsp;</p>

<p>उन्होंने कहा कि गांव के लोगों को देश, दुनियां की बेहतरीन रोजगार प्रदत योजना मनरेगा से हाथ धोना पड़ेगा। हमें छोटे-2 कार्यो के लिये अपने आंगन में मिल रही सुविधाओं को छोड़कर मंडी नगर आना पड़ेगा। पंचायतों में कार्यरत पंचायत सचिव, चौकीदार, सिलाई अध्यापिका, जीआरएस, तकनीकि सहायक का क्या होगा? पंचायतों में सभी विकास कार्यों और लाभार्थियों का चयन सामूहिक रूप से ग्राम सभा में लिया जाता हैं। पंचायतों को न्यायिक शक्तियां भी हासिल हैं जिसमें लोगों को घर द्वार पर न्याय मिल जाता हैं। पंचायतों में सभी परिवारों का पूरा विवरण परिवार रजिस्टर में अंकित रहता हैं। जबकि नगरीय व्यवस्था में ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं।</p>

<p>रवि सिंह चंदेल ने कहा कि तीनों प्रभावित पंचायत क्षेत्र से संबंधित विधायक अनिल शर्मा, &nbsp;जवाहर ठाकुर व इन्द्र सिंह गांधी पहले ही अपने अपने चुनाव क्षेत्रों की पंचायतों को नगर निगम में मिलाये जाने का विरोध दर्ज कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि मंडी के साथ-साथ सोलन व पालमपुर को भी नगर निगम बनाने की बात कही गई थी क्या पालमपुर व सोलन में भी निगम बनाने की प्रक्रिया चल रही हैं। संघर्ष समिति शहरी विकास विभाग से यह जानना चाहती हैं। रवि सिंह चंदेल ने कहा कि सरकार का कोई अधिकृत अधिकारी ही हमारी चितांओं के बारे जबाव दें। जो लोग प्रस्तावित निगम में कर माफी की बात कर रहे है वे किस हैसियत से यह घोषणा कर रहे हैं। नगर परिषद नेरचौक में भी ऐसा ही जुबानी घोषणाए हुई थी लेकिन आज ऑडिट विभाग द्वारा इस पर ऑडिट पैरा लग गया हैं। सरकार को संघर्ष समिति की शंकाओं व चिंताओं का जरूर निराकरण करना चाहिए। चंदेल ने कहा कि हमें अभी भी अपने मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास है कि वे जनमत की राय को देख कर ही कोई निर्णय लेगें।</p>

<p>इधर, नगर परिशद मंडी के उपाध्यक्ष विरेन्द्र शर्मा ने नगर निगम बनाए जाने के विरोधियों द्वारा किए जा रहे दुषप्रचार और हस्ताक्षर ब्यान में उठाए जा रहे मुद्दों पर स्पष्ट करते हुए कहा कि उनके द्वारा जो मुद्दे जनता के समक्ष रखे जा रहे हैं, उनका कोई आधार नही है। उन्होने कहा कि अगर विकास कार्यां और महत्वपूर्ण निर्णयों में पंचायती राज व्यवस्था में नागरिकों की सामुदायिक भागीदारी ग्राम सभा के माध्यम से है तो नगर परिशदों और नगर निगमों में भी सामुदायिक भागीदारी है। म्युनिसिपल एक्ट में प्रावधान है कि वार्डां में विकास कार्यां में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वार्ड सभा बनाई जाती है, हर वार्ड स्तर पर वार्ड स्वच्छता कमेटियों का गठन किया गया है ताकि सफाई व्यवस्था एकदम सही रहे।&nbsp;</p>

<p>उनका कहना है कि केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा संचालित लाभार्थियों का चयन पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम सभा द्वारा किया जाता है, यही व्यवस्था शहरी निकायों में है, लाभार्थियों का चयन भी वार्ड सभा में किया जात है। अगर किसी योजना के लिए कर्मचारी घर-घर जाएं तो यह कदम तो और भी अच्छा है कि लोगों को उनकी सुविधा घर द्वार पर ही दी जा रही है। यह कहना गलत ही नही अपितु तर्कहीन व आधारहीन है कि लोगों को प्रमाण पत्र बनाने में निगम कार्यालय में जाना पड़ेगा, अपितु कई प्रकार के प्रमाण पत्र तो उनके वार्ड पार्शद ही दे देते है, जोकि उनके ही क्षेत्र से सबंधित है, अन्य सरकारी प्रमाण पत्र तो आजकल ऑनलाईन बन रहे है जोकि लोगों को उनके ही नजदीकी क्षेत्र में, बने लोकमित्र केन्द्र में मिल सकेंगें, यही व्यवस्था पंचायती राज में भी है।</p>

<p>यह कहना बिल्कुल गलत है कि लोगों के रोजगार के अवसर छिन जाएंगे, अपितु नगर निगम क्षेत्र में आने से लोगों को और अधिक रोजगार के अवसर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनके घर गांव में ही मिल जाएंगे। यह तर्क आज के जागरूक और विकसित समय में किसी के गले नही उतर रहा है कि घरों में प्रसव होगा, जबकि सरकार द्वारा दी जा रही स्वास्थय सेवाओं का लाभ लोग घर द्वार पर ही ले रहे है। हर गर्भवती स्त्री का स्वास्थ्य कार्ड बना होता है, जिसमें आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर का दायित्व रहता है और प्रसव अस्पतालों में ही होता है। यह व्यवस्था बिल्कुल सुनिश्चित की गई है।</p>

<p>मनरेगा व गृहकर के मामलों को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। जोकि अनुचित है। मनरेगा की तर्ज पर शहरों में मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू की गई है। जिसका कार्य लोगों को घर द्वार पर ही मिलेगा और गृहकर की विभिन्न श्रेणियां है जोकि ग्रामीण क्षेत्रों में मिनिमम रहेगी। नगर परिश उपाध्यक्ष ने कहा कि नगर निगम बन जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के द्वार खुलेगें और अधिक विकास होगा, उन्होनें लोगों से आग्रह &nbsp;किया कि वे किसी भ्रम व संशय में न रहें, चहुमुखी विकास के लिए नगर निगम क्षेत्र में आंए, गांव को समृ़द्ध व वैभवशाली बनाने में सहयोग दें।</p>

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