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हिमाचल को देश का शिक्षा केन्द्र बनाने में शिक्षकों की अहम भूमिकाः मुख्यमंत्री

पी. चंद, शिमला |

शिमला मे शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश ग्रामीण विद्या उपासक (नियमित जेबीटी) शिक्षक संघ ने राज्य स्तरीय सम्मेलन में आयोजन किया।  सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए  कहा कि राज्य सरकार वर्ष 2002 में नियुक्त ग्रामीण विद्या उपासक (नियमित जेबीटी) शिक्षक श्रेणी को पुरानी पेंशन योजना के तहत लाने की मांग पर विचार करेगा। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार उनके द्वारा राष्ट्रीय ओपन स्कूल संस्थान में जमा करवाए गए 5000 रुपये वापस करने के मामले को भी  उठाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश आज शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय राज्य के शिक्षकों को भी जाता है, जो राज्य के दूरदराज के इलाकों में छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि पूर्व सरकार ने प्रदेश में बिना किसी बजट प्रावधान और योजना के शिक्षा संस्थान खोले। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ संस्थानों की घोषणा महज चुनावों के मद्देनजर की गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षकों की अनेक श्रेणियां हैं, जिन्हें तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि इन सभी शिक्षकों की भूमिका छात्रों को शिक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि शिक्षकों की सभी उचित मांगों को जल्द से जल्द हल किया जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह क्षेत्र है, जहां हर प्रकार के विकास की नींव रखी जाती है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि छात्र अपने शिक्षक को उच्च सम्मान दें और उनके प्रति विशेष श्रद्धा रखें, जिसके लिए शिक्षक का आचरण छात्रों के लिए अनुकरणीय और आदर्श होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 3391 स्कूलों में नर्सरी कक्षाएं शुरू की जाएंगी, ताकि अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में अपने बच्चे को प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया जा सके। उन्होंने कहा कि कि सी एण्ड वी और पीटीए के सभी रिक्त पद प्राथमिकता के आधार पर भरे जाएंगे। उन्होंने कहा कि पीएटी और पीटीए शिक्षकों की उचित मांगों को हल करने के प्रयास भी किए जाएंगे। उन्होंने शिक्षकों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 25 लाख रुपये का चैक भेंट किया गया।