देश और प्रदेशों में विधायक और सांसद महिलाओं के लिए लोकतंत्र में आरक्षण की बात हर दल करते हैं..और ये कदम ऐतिहासिक भी है, क्योंकि ये भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की सख़्त ज़रूरत पूरी करने का रास्ता खोलता है. हिमाचल प्रदेश की सियासत में भी महिला जनप्रतिनिधियों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है.
जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे.. दरअसल, हाल ही में भारत की संसद, एक ऐतिहासिक लम्हे की गवाह बनी, जब इसके दोनों सदनों ने लगभग आम सहमति से बहुप्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को पारित कर दिया.. ये बिल सितंबर में संसद के विशेष सत्र के दौरान तमाम राजनीतिक दलों के समर्थन के साथ पारित किया गया.. सबसे अहम बात तो ये रही कि संसद में इस विधेयक पर चर्चा की अगुवाई देश की महिला नेताओं ने की. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद महिला आरक्षण विधेयक एक क़ानून बन गया, जिसका नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023’ है.
वहीं, आज हम बात करेगें हिमाचल प्रदेश की उन दो विधायक महिलाओं की, जो अपना घर चलाने के साथ-साथ अपने क्षेत्र की जिम्मेदारियों को भी बखूभी निभा रही हैं. प्रदेश के कुल मतदाताओं में 49 फीसदी महिलाएं हैं.. साल 1998 के बाद से महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया है.
हिमाचल के लाहौल-स्पीति जिले में हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अनुराधा राणा 31 साल की उम्र में प्रदेश की 14वीं विधानसभा में सबसे कम उम्र की विधायक बन गई हैं. वे कांग्रेस विधायक दल में एकमात्र महिला विधायक बनी हैं. कांग्रेस दल के अन्य सभी 37 विधायक पुरुष हैं. सबसे युवा विधायक होने का दूसरा और कांग्रेस की अकेली महिला विधायक होने का तीसरा रिकॉर्ड भी अनुराधा राणा के नाम शामिल हो गया है.
अनुराधा राणा ने बीजेपी प्रत्याशी रवि ठाकुर की जमानत जब्त करवाकर अपने नाम एक रिकॉर्ड बनाया है. लाहौल-स्पीति विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अनुराधा ने 9 हजार 414 वो़टों से बीजेपी से बागी हुए निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. रामलाल मारकंडा को मात दी है.
भाजपा से बागी हुए रामलाल मारकंडा को 7 हजार 454 वोट मिले और बीजेपी प्रत्याशी रवि ठाकुर को केवल 3 हजार 49 वोट हासिल हुए जिस कारण रवि ठाकुर अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. ऐसे में विधायक अनुराधा राणा के नाम पहला रिकॉर्ड बागी नेता मारकंडा के सहयोग से भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त करवाने का है.
इससे पहले हिमाचल विधानसभा में भाजपा की पच्छाद से विधायक रीना कश्यप विधानसभा में अकेली महिला विधायक थीं. 13वीं विधानसभा में कांग्रेस से आशा कुमारी, बीजेपी से कमलेश कुमारी, रीता धीमान और रीना कश्यप महिला विधायक रह चुकी हैं..लेकिन इस वक्त मौजूदा हालात में हिमाचल विधानसभा में दो महिला विधायकों की आवाज प्रदेश भर में गूजेंगी..
हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में सीएम सुक्खू और उनकी कैबिनेट में एक भी महिला विधायक मंत्री नहीं बन पाई हैं. ऐसे में अब लाहौल-स्पीति के लोगों को ये उम्मीद है कि नई विधायक को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. हालांकि, किन्नौर विधानसभा क्षेत्र से विधायक जगत सिंह नेगी बागवानी एवं राजस्व मंत्री हैं.
ऐसे में जनजातीय क्षेत्र से दो मंत्रियों का मंत्रीमंडल में शामिल होना क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से सहज नहीं है, लेकिन इसके बाद भी लाहौल-स्पीति की जनता और अनुराधा राणा के समर्थकों की उम्मीद कायम है कि महिला कोटे से उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है.. फिलहाल, हिमाचल विधानसभा में इस वक्त दो महिलाओं विधायकों की एंट्री हो चुकी है.. एक भाजपा से रीना कश्यप तो दूसरी कांग्रेस से अनुराधा राणा.. अब आगे देखना ये होगा कि हिमाचल की राजनीति में और कितनी महिला जनप्रतिनिधियों की हिस्सेदारी बढ़ती है.
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