हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में भले ही एक अच्छा मुकाम हासिल कर चूका है लेकिन प्रदेश सरकार स्कूलों में छात्रों को सुविधाओं देने में अभी भी काफी पीछे दिख रही है। चम्बा जिला की बात करें तो आज भी यह बहुत से स्कुल ऐसे है जिनमें सुविधाओं का भाव दिखता है। बहुत से स्कूल ऐसे है जहां पर एक ही शिक्षक के सहारे स्कुल चलाया जा रहा है कई स्कूलों को अभी तक उनका भवन भी नसीब नहीं हो पाया है। बहुत से स्कूल ऐसे हैं जिनके भवन जर्जर हालत में है और वह पर कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।
चंबा जिला के विधानसभा क्षेत्र डलहौजी के सीनियर सकेंडरी स्कूल तेलका की बात करे तो यहां पर स्कूल के भवन की हालत इतनी खराब है की यहां पर कभी भी कोई बहुत बड़ा हादसा हो सकता है। स्कूल के भवन की दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें साफ तौर पर देखी जा सकती हैं। स्कूल की छत से झांकता सूरज भी बच्चों को बड़ी लाचारी से देखता रहता है। ज्यादा हवा चलने की वजह से स्कूल की छत बार-बार उड़ जाती है जिसकी वजह से बारिश होने पर पानी अक्सर अंदर कमरे में टपकता रहता है।
सीनियर सकेंडरी स्कूल तेलका में 600 से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे है लेकिन शिक्षकों की कमी के चलते इन छात्रों को पढ़ाई में भी काफी विलम्भ हो रहा है। बहुत से विषयों के अध्यापक न होने ही वजह से दूसरे विषयों के अध्यापकों को पढ़ाना पड़ रहा है साथ ही ऑफिस में स्टाफ की कमी के चलते ऑफिस का काम भी उन्हें ही करना पड़ता है। इस बात से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है की इस स्कूल में बच्चों के भविष्य के साथ किस तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है।
स्कूल में शिक्षा हासिल कर रहे छात्रों ने बताया की उनके स्कूल के भवन की हालत बहुत ही खस्ता है दीवारों पर दरारें पड़ी हुई है और यह कभी भी गिर सकती है और कोई बड़ा हादसा हो सकता है। साथ ही उन्होंने बताया की उनके स्कूल मर अध्यापको की भी काफी कमी है जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई भी वाधित हो रही है।
उन्होंने बताया की जब स्कूल का रिजल्ट खराब होता है तो उसका सारा दोष अधापकों पर लगाया जाता है जबकि इसका ज़िम्मेबार प्रदेश के शिक्षा मंत्री है क्योंकि वह स्कूलों में अध्यापको की कमी को पूरा नहीं कर पा रहे है इसलिए यह सब उनकी जिम्मेबारी बनती है। छात्रों ने प्रदेश सरकार व शिक्षा मंत्री से प्राथना की है की उनके स्कूल में दीबारों की मुरम्मत का कार्य किया जाये साथ ही स्कूल में चल रही अध्यापकों की कमी को पूरा किया जाये ताकि उन्हें पढ़ाई में किसी तरह की दिकक्तों का सामना नहीं करना पड़े।
स्कूल के अध्यापकों ने भी इस बात को माना है की स्कूल के भवन की हालत ठीक नहीं है और उन्हें मजबूरन इसी खस्ता हालत भवन में रिस्क लेकर बच्चों को पढ़ना पड रहा है। उन्होंने बताया की इसकी शिकायत उन्होंने कई बार स्थानीय प्रशासन से की भी है लेकिन वह यहां पर मुआइना तो कर जाते हैं लेकिन, उस पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती है।