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यहां डायलिसिस की मशीन तो है पर चलाने वाला कोई नहीं, मरीजों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

मृत्युंजय पुरी |

चंबा जिला के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में पिछले कई महीनों से टेक्नीशियन की कमी के चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।  यहां पर सरकार द्वारा लोगों को डायलिसिस मशीन की सौगात तो दे दी गई है लेकिन यहां पर उन मशीनों को चलाने के लिए टेक्नीशियन उपलब्ध ना हो पाने की वजह से लोगों को इन सुविधाओं से महरूम रहना पड़ रहा है। पिछले कई महीने से लोग इन मशीनों के चलने का इंतजार कर रहे हैं।

कॉलेज प्रशासन द्वारा इन डायलिसिस मशीन को चलाने के लिए कई बार टेक्नीशियन लाने की कोशिश की गई है लेकिन अभी तक कोई भी टेक्नीशियन चंबा जिला के मेडिकल कॉलेज को नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से यहां के लोगों को इस सुविधा के लिए शिमला, टांडा और पंजाब के निजी हॉस्पिटल में जाना पड़ता है।

हालांकि 22 जनवरी को हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा इसके उद्घाटन का समय तय हुआ था लेकिन टेक्नीशियन ना मिल पाने की वजह से इसे स्थगित करना पड़ा। डायलिसिस मशीन लगा चुकी कंपनी भी लोगों को डॉक्टर ना मिल पाने की वजह से सुविधा देने से लाचार नजर आ रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में पिछले कई दिनों से डायलिसिस की सौगात दे दी गई है लेकिन यहां पर इसकी सुविधाएं न मिल पाने की वजह से उन्हें इसके लिए पठानकोट, शिमला, कांगड़ा और अन्य निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि अगर तह सुविधा जल्द शुरू कि जाए तो उससे उन्हें काफी लाभ मिल सकता है। लोगों ने अस्पताल प्रशासन से आग्रह किया है कि जल्द से डायलिसिस की सुविधा को लोगों को दिया जाए ताकि लोगों को बाहर न जाना पड़े और उनके दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।

पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी विनोद शर्मा ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस की सुविधा तो उपलब्ध है लेकिन टेक्नीशियन ना मिल पाने की वजह से हम उन्हें इसे शुरू नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को इसके शुरुआत के लिए उद्घाटन किया जाना था लेकिन टेक्नीशियन ना मिल पाने की वजह से उसे स्थगित करना पड़ा।

वहीं डायलिसिस मशीन को लगाने वाली कंपनी के अधिकारी ने भी इसे ना शुरू करने का कारण डॉक्टर की कमी ही बताया है। उन्होंने कहा कि कलकत्ता से टेक्नीशियन को बुला लिया गया है और जल्दी हो उनके चंबा पहुंचने पर फरवरी महीने से इसे शुरू करने की कोशिश की जाएगी।