हिमाचल

‘लाल सोने का शहर’ नाम से प्रसिद्ध हिमाचल का यह जिला

टमाटर और मशरूम के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। और उसे देश की मशरूम राजधानी भी कहते है. यह एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो हिमाचल में मौजूद है। ये टूरिस्ट प्लेस होने के अलावा, मशरूम और काफी अधिक मात्रा में टमाटर उत्पादन के लिए भी फेमस है. इसकी वजह से इस शहर को सोने का शहर भी कहते हैं. इस खूबसूरत शहर में कई मंदिर और मठ हैं, जो हर साल पर्यटकों को बेहद आकर्षित करते हैं।

आपको बता दें कि हिमाचल का सोलन जिला पहाड़ियों और पर्वतों से घिरी वन भूमि है। यह हिल स्टेशन मुख्य रूप से कसौली, कालका और चैल जैसे अन्य लोकप्रिय हिल स्टेशनों के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। यह अपने प्राचीन मंदिर और मठ के लिए भी जाना जाता है।

लोकप्रिय मंदिरों में शूलिनी माता मंदिर और जटोली शिव मंदिर शामिल हैं। और युंडुंग मठ सभी मठों में सबसे प्रसिद्ध माना जाता है। सोलन शहर अपनी सबसे पुरानी ब्रुअरीज के लिए भी जाना जाता है। जोकि 300 साल पुराना किला है। सोलन की सबसे ऊंची चोटी करोल का टीबा है, जहां पांडवों की गुफा है, जहां पांडवों ने अपने 12 वर्ष के वनवास के दौरान तपस्या की थी।

इसी के साथ सोलन जिला पहली सितंबर, 1972 को राज्य के जिलों के पुनर्गठन के समय अस्तित्व में आया। यह जिला तत्कालीन महासू जिले की सोलन और अर्की तहसीलों और तत्कालीन शिमला जिले की कंडाघाट और नालागढ़ तहसीलों से अलग होकर बनाया गया था। प्रशासनिक रूप से, जिले को चार उप-मंडलों में विभाजित किया गया है। सोलन में सोलन और कसौली तहसीलें शामिल हैं, नालागढ़ अर्की के क्षेत्राधिकार में आता है और कंडाघाट उप-मंडल अपनी संबंधित तहसीलों को कवर करते हैं।

15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल देश के प्रशासनिक मानचित्र पर दिखाई दिया और भगत, बाघल, कुनिहार, कुठार, मंगल, बेजा, क्योंथल और कोटी राज्य तत्कालीन महासू जिले का हिस्सा बन गए।

नालागढ़ राज्य, जिसे आज़ादी के बाद पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ में मिला दिया गया था, बाद में 1956 में राज्यों का पुनर्गठन होने पर पंजाब का एक हिस्सा बन गया और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों की तरह अंबाला जिले की एक तहसील, कंडाघाट और शिमला जिले की शिमला तहसीलें बनी रहीं।

1 नवंबर, 1972 को कुल्लू, लाहुल और स्पीति और कांगड़ा जिले हिमाचल प्रदेश का हिस्सा बन गए और सोलन जिला राज्य के प्रशासनिक मानचित्र पर उभर आया। सोलन जिले का नाम सोलन शहर से लिया गया है, जो 19वीं शताब्दी के अंतिम तिमाही में उस स्थान पर छावनी के निर्माण के बाद अस्तित्व में आया था।

अब अगर यहां की प्रमुख भाषा की बात करें तो यहां हिंदी और पहाड़ी बोली जाती है. यहां वर्ष में एक बार राज्यस्तरीय शूलिनी मेला लगता है. प्रसिद्ध पांडव गुफा सोलन के करोल पहाड़ी के आंचल में बसी है. मान्यता है कि यह पांडवों के समय में लाक्षागृह के नीचे बनाई गई थी. सोलन से दो किलोमीटर दूर चंबाघाट में मशरूम का उत्पादन किया जाता है.

सोलन में एशिया की पहली कृषि वानिकी और बागवानी यूनिवर्सिटी स्थपित हुई थी. इस जिला में मशहूर लेखक सलमान रश्दी का भी घर है. सोलन में मोहन मेकिन ब्रुररी है जिसकी गिनती देश की सबसे पुरानी वाइन बनाने वाली फैक्ट्री में होती है.

और अब पर्यटन की बात करें तो कसौली का मंकी पॉइंट, सन सेट पॉइंट यहां की खासियत हैं. इसके अलावा यहां देखने वाली कई अन्य जगहें हैं- चायल, कसौली, लॉरेंस स्कूल-सनावर, जटोली मंदिर में बाबाजी की समाधि जो एशिया में सबसे ऊंचा शिव मंदिर है, मोहन नेशनल हेरिटेज पार्क, अर्की किला, नालागढ़ किला. सोलन के पास स्थित कालाघाट की दोलांजी मोनैस्ट्री पूरी दुनिया में अपने तरह की इकलौती मोनैस्ट्री है. यहां रहने वाले बुद्धिस्ट लोग संसार में और कहीं नहीं हैं

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