खामोशी से की गई मेहनत का एक दिन सफलता जरूर शोर बनती है। चंडीगढ़ जैसे शहर में कभी एक टाइम रोटी तो कभी परांठे के सहारे हर दिन लाइब्रेरी में घंटों पढ़ना। दोस्तों से उधार लेकर पढ़ाई करने वाले युवा ने एक मिसाल कायम की है। सरकारी स्कूल से कॉमर्स विषय में जमा दो की पढ़ाई कर सीए बनने तक के सफर करने वाले इस युवा ने लकड़ी काटकर गुजारा करने वाले पिता के चेहरे पर भी मुस्कान लायी है।
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के ननावां पंचायत के युवा जोगिंदर सिंह की। 26 साल के इस युवा ने आर्थिक तंगी कि हर बाधा को पार करते हुए सीए की परीक्षा को पास किया है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला डैहर से कॉमर्स विषय में 12वीं पास करने के बाद इस युवा ने सुंदरनगर के एमएलएसएम कॉलेज से बीबीए में प्रदेश भर में मेरिट में स्थान हासिल किया और अब क्षेत्र से पहला सीए बनने का गौरव भी अपने नाम किया है।
एक छोटे से गांव से निकलकर सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर सीए बनने तक का सफर बेहद ही चुनौती पूर्ण था। जोगिंदर के पिता करतार सिंह लकड़ी काटने का काम करते हैं। करीब 5 सालों से बेटे को चंडीगढ़ जैसे शहर में सीए की परीक्षा की तैयारी करने के लिए हर कदम पर पिता ने साथ दिया दिया और आखिर बेटे ने भी पिता के हर त्याग और संघर्ष को मुकाम तक पहुंचा दिया।
जोगिंदर के पिता चंडीगढ़ शहर में बेटे को गुजारा करने के लिए हर महीने 7 से 8 हजार रुपए दिया करते थे। जब कभी तंगी आती तो बेटा जोगिंदर भी पार्ट टाइम नौकरी कर घर के खर्चों में पिता का सहारा बने। संघर्ष की इस राह में जोगिंदर के दोस्तों ने भी हर कदम पर उसका साथ दिया। बेटे की सफलता से पिता करतार सिंह बेहद खुश हैं। वहीं जोगिंदर सिंह ने भी अपने सफलता के श्रेय पिता और अपने गुरुजनों को दिया है। जोगिंदर का कहना है कि उन्हें पहले असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।