12 से 15 अगस्त के बीच हुई प्रलयकारी बारिश ने मंडी जिले के लोगों की कमर तोड़ दी है तो प्रशासन भी सांसत में है। आठ दिन बाद भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। अभी भी जिले के अधिकांश भागों से जिला मुख्यालय का संपर्क बहाल नहीं हो पाया है। रविवार को दसवें दिन मंडी कुल्लू मार्ग पर छोटे वाहन जरूर दौड़े मगर जगह जगह भूसख्लन होने व सीधे काटे हुए पहाड़ों पर चट्टानें ऐसे टिकी हुई हैं कि कभी भी कहर ढा सकती है। इस मार्ग पर चलना अभी भी बेहद जोखिम भरा है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मंडी सागर चंद ने बताया कि पंडोह बांध से बनाया गया नया मार्ग अभी बड़े वाहनों के लिए सुरक्षित नहीं है। रविवार को सैंकड़ों छोटे वाहन यहां से होकर गुजारे गए जबकि बड़े वाहनों को वापस कर दिया गया ताकि वह कमांद कटौला होकर मंडी से कुल्लू व कुल्लू से मंडी की ओर आ सकें।
इधर, मंडी शहर के विश्वकर्मा चौक पर आए पहाड़ का मलबा आठवें दिन भी ज्यूं का त्यूं बना हुआ है। यहां से पुराने सुकेती पुल होकर हल्के वाहनों के लिए आवाजाही हो गई है मगर मुख्य मार्ग पर पड़ा मलबा जिसमें पेड़, टूटे हुए घरों की कंकरीट आदि है को छेड़ना खतरे से खाली नहीं है। उपर दर्जनों घर हैं जो नीचे से मलबा हटाते ही जमींदोज हो सकते हैं।
ऐसे में यही माना जा रहा है कि बारिश के थमने के बाद ही इसे छेड़ा जा सकेगा। विश्वकर्मा मंदिर में आया मलबा सभा प्रबंधन ने रविवार को अपनी जेसीबी लगाकर हटाने का प्रयास शुरू किया है। शाम तक मंदिर जो इससे क्षतिग्रस्त हो चुका है की परिक्रमा को बहाल किया जा सका है। श्री विश्वकर्मा सभा के प्रधान ज्ञान चंद शर्मा के अनुसार अपने स्तर पर ही मलबा हटाने का काम शुरू किया गया है क्योंकि प्रशासन की मशीनरी मुख्य मार्ग को साफ करने में लगी हुई है।
मौसम विभाग ने 22 से 24 तक यलो अलर्ट जारी कर रखा है जिससे राहत कार्य में जुटे प्रशासन व अन्य एंजेसियों की चिंता और बढ़ गई है। बारिश से बेघर हो चुके, जमीन के धंसने के खतरे वाले या किसी तरह से क्षतिग्रस्त मकानों में रह रहे लोग आसमान में काले बादल देख कर ही खौफजदा हो रहे हैं। इधर, मंडी शहर में उहल नदी से आने वाली सप्लाई बहाल करने में महीनों लग सकते हैं। पाइप लाइन वाली सड़क ही टूट गई है।
पड्डल में पुरानी पेयजल स्कीम जो ब्यास नदी से पानी उठाने वाली है के बहाल हो जाने से पेयजल का भयंकर संकट कुछ कम तो हुआ है मगर सुचारू होने में काफी समय लगेगा। इसके अलावा मैगल, छिपणू, ब्राधीवीर, चभुआ आदि स्त्रोतों से शहर को पानी दिया जा रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार जो नुकसान हुआ है वह 9-10 जुलाई को आई आफत से भी ज्यादा है। ऐसे में सही हालात होेने में महीनों लग जाएंगे। विभाग स्वयं ही अपना कार्यालय असुरक्षित हो जाने से बेघर हो चुका है और कई जगहों पर शरण लेकर कामकाज चलाया जा रहा है।
ऐसे में जहां 12 से 15 अगस्त को हुई प्रलयकारी बारिश से आए जख्म भरने में तो सालों लगेंगे मगर अभी जो सबसे ज्यादा बुनियादी जरूरतों को बहाल करने व बेघर लोगों को बसाने की है उस दिशा में भी काफी बाधाएं आ रही हैं। पूरी तरह से घर खो चुके लोगों को रिलीफ मैनुअल के अनुसार मिलने वाली राहत राशि जो एक लाख रूपए है से कुछ होने वाला नहीं है।
कोई बड़ी राहत देकर ही इन बेघर हुए लोगों को बसाया जा सकता है जो फिलहाल आसान नहीं लग रहा है। इतनी राहत वाली बात जरूर है कि संपर्क सड़कें जो धीरे धीरे खुल रही हैं उससे अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने लगे हैं। ऐसे में लोग अब प्रशासन और सरकार की तरफ ही उम्मीद से देख रहे हैं। देखना होगा कि प्रलयकारी बारिश से मिले जख्मों पर कितना मरहम लग पाता है।
AICC observers in Himachal Pradesh: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस…
Kangra District disaster management: हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कांगड़ा जिला को स्वयंसेवियों के…
Karcham-Sangla-Chitkul Road: जनजातीय जिला किन्नौर में चीन सीमा से सटी और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण…
Baba Balak Nath Temple Trust: पहले राशन घोटाला फिर बकरा निलामी पर किरकिरी और…
CPI(M) protest in Hamirpur: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने हमीरपुर में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, बिजली,…
Hati community tribal status: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाटी समुदाय को जनजाति दर्जा देने के…