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हिमाचल में मकान को वैध कराने में चुकानी होगी ये कीमत

समाचार फर्स्ट |

हिमाचल में मकान को वैध कराने के लिए लोगों अब इसकी कीमत चुकानी होगी। जिन लोगों ने 2-3 दशक पहले 15 से 20 लाख रुपए खर्च करके मकान बनाए हैं उन्हें वैध कराने के लिए लोगों को दोगुना से भी ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी। ऐसा न करने पर नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाज गिर सकती है। NGT  ने अवैध निर्माण या डेविएशन को तोड़ने के निर्देश दिए है।

अवैध स्ट्रक्चर रेगुलर करने के लिए तय की है फीस

  • NGT ने 1000 वर्ग फुट में की गई डेविएशन को रैगुलर करने के लिए 50 लाख रुपए चुकाने पड़ेंगे।
  • 1000 वर्ग फुट में बने व्यावसायिक प्रतिष्ठान को वैध करने के लिए 1 करोड़ रुपए देने होंगे।
  • 500 रुपए प्रति वर्ग फुट घरेलू मकान, 1000 रुपए प्रति वर्ग फुट व्यावसायिक घरानों को रेगुलर करने की है कंपाऊंडिंग फीस

NGT ने जो फीस तय की है जिसे मुट्ठीभर लोग भी नहीं चुका पाएंगे क्योंकि जितनी लागत मकान बनाने में आई है, उससे ज्यादा मकान को वैध करने के लिए देनी पड़ेगी। इससे प्रदेशभर में सैंकड़ों मकान अवैध रह जाएंगे। प्रशासन को भी मजबूरन अवैध भवनों और डेविएशन पर हथौड़ा चलाना होगा।

क्या है डेविएशन

यदि किसी व्यक्ति के  3 मंजिला मकान बनाने का नक्शा पास किया है और वो व्यक्ति 3 की जगह 4 मंजिला मकान बना देता है तो उसे डेविएशन कहा जाता है, ऐसे में NGT के ताजा आदेशों के तहत एक मंजिल की इस डेविएशन को रैगुलर करने के लिए भवन मालिक को निर्धारित कंपाऊंडिंग फीस चुकानी होगी। यदि कोई व्यक्ति अनुमति के बगैर मकान बना लेता है तो वो मकान अवैध की श्रेणी में आएगा।

30 हजार से ज्यादा लोगों के छिनेंगे आशियाने

इस मुद्दे को लेकर उप नगरीय जन कल्याण समिति ने राज्य सरकार से इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग उठाई है। समिति का मानना है कि इससे प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा लोगों के आशियाने छिन जाएंगे। लोगों में इन आदेशों के बाद से हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि एन.जी.टी. द्वारा निर्धारित कंपाऊंडिंग फीस चुकाने के लोगों को लाखों रुपए चुकाने पड़ेंगे।