एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष छतर सिंह ठाकुर ने कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में प्रैसवार्ता की जिसमें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा जो तुगलकी फरमान सुनाया गया उन मुददों को प्रमुखता से उठाया। एनएसयूआई का कहना है कि 31 जुलाई 2021 को विश्वविद्यालय में एनएसयूआई ने कुलपति घेराव किया था। जिसमें कुलपति का सेवा विस्तार रदद करना, छात्रों की छः महीने की फीस माफ करना, विश्वविद्यालय के पुस्तकालय व होस्टल को खोलना, ईआरपी की खामियों को दूर करना और रूसा छात्रों से संबधित मांगो को लेकर प्रदर्शन किया गया। परन्तु विश्वविद्यालय ने इन मांगो को मानने की बजाए एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष छतर सिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष बलबिन्दर सिंह बल्लू, परिसर अध्यक्ष प्रवीण मिन्हास का ही प्रवेश वर्जित कर तीन छात्र नेता विनू मेहता, रजत भारद्वाज और यासिन भटट को परिवीक्षा आचरण (नजर बन्द) पर रखा गया है।
छतर सिंह ठाकुर ने कहा कि कुलपति ने छात्र नेताओं पर प्रतिबन्ध ही नहीं लगाया अपितू आम छात्र समुदाय का गला घोटने का काम किया है। जहां एनएसयूआई छात्र हित के लिए लड़ रही है तो एनएसयूआई के छात्र साथियों पर प्रतिबन्ध लग रहे हैं। वहीं, दुसरी तरफ दुसरे छात्र संगठन आपस में लड़ाई और गाली गलोच कर रहें है उन पर कार्यवाही करने के बजाए उल्टा इनके मंत्री और महामंत्री को विश्वविद्यालय के अधिकारिक कार्यक्रम के अतिथि के रूप में बुलाया जाता है जिसकी अधिसूचना भी विश्वविद्यालय कुलसचिव द्वारा जारी की जाती है। इससे इनकी दोहरी मानसिकता झलकती है और प्रमाणित होता है कि विश्वविद्यालय को आरएसएस की प्रयोगशाला बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एनएसयूआई ने आज राज्यपाल को विश्वविद्यालय में और सभी जिला मुख्यालयों के जिलाधीश के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर इस मामले में हस्तक्षेप कर छात्रों के अधिकारों का हनन होने से बचाने और छात्र नेताओं पर लेग प्रतिबंध को वापस लेने की मांग की है।