<p>हिमाचल के जिला हमीरपुर को आस्तित्व में आया 46 साल हो गए है। आपको बता दे कि हमीरपुर का अस्तित्व राजा हमीर चंद के शासन काल से संबधित है। इसकी स्थापना 1 सितम्बर 1972 को हुई थी। भौगौलिक दृष्टि से प्रदेश का सबसे छोटा जिला हमीरपुर अपने में समृद्ध इतिहास समेटे हुए हैं। राजा हमीर ने हमीरपुर कस्बे को बसाया। हमीरपुर जिला कांगड़ा का एक भाग रहा है। यह जिला प्रथम सितंबर, 1972 को अपने अस्तित्व में आया।</p>
<p>18वीं शताब्दी के प्रथम चरण में कांगड़ा क्षेत्र में कटोच वंश के उदय होने के समय जिला हमीरपुर अपने ऐतिहासिक क्षेत्र में प्रवेश किया और जिसने 18 वीं शताब्दी में हीरानगर के समीप सामरिक दृष्टि से एक दुर्ग का निर्माण करवाया था। उसी के नाम से जिले का नाम हमीरपुर पड़ा।</p>
<p>यहां राजा हमीर चंद 1740- 1780 ई. तक कांगड़ा रियासत के शासक रहे थे। हमीरपुर नगर में एक बड़ा तहसील भवन सन 1888 में बनाया गया। हमीरपुर थाना का भवन, हमीरपुर तहसील भवन ऐतिहासिक संदर्भ इस तथ्य के साक्षी हैं। यहां प्राचीन संस्कृति और इतिहास के गवाह हैं। जिला हमीरपुर में सुजानपुर टीहरा अपना ऐतिहासिक स्थान है।</p>
<p>इस नगर की स्थापना की नींव कांगड़ा नरेश घमंड चंद ने 1761-1773 ई. में रखी थी और इनके पौत्र महाराज संसार चंद द्वारा इस नगर को गरिमा प्रदान की। इसी शासन काल में सुजानुपर टीहरा होली उत्सव, व्रज भूमि की होली की प्राचीन संस्कृति आज भी जिंदा हैं। इन्होंने अपने शासनकाल में कला से पूर्ण मंदिरों का निर्माण किया। इनमें मुरली मनोहर मंदिर, गौरी शंकर मंदिर और नर्वदेश्वर मंदिर प्रमुख हैं।</p>
<p>महल मोरियां का किला हमीरपुर से 15 किलोमीटर दूर ताल और महल गांव के बीच की पहाड़ी पर कुनाह खड्ड के किनारे पर हैं। यहां पर 1805 ई. में राजा संसार चंद गोरखा सेना से परास्त हुए थे। महाराजा संसार चंद ने सुजानपुर टिहरा के साथ नादौन में कुछ समय व्यतीत किया जहां आज भी उनके पूर्वज रहते हैं।</p>
<p><strong><span style=”color:#d35400″>यहां हैं बाबा बालक नाथ का मंदिर </span></strong></p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(2009).jpeg” style=”height:350px; width:650px” /></p>
<p>उत्तर भारत की प्रसिद्ध दिव्य सिद्धपीठ बाबा बालकनाथ धाम दियोटसिद्ध नामक स्थान पर स्थित है जो जिला बिलासपुर के उपमंडल घुमारवीं की तहसील शाहतलाई के साथ लगता है। यहां पर देश और प्रदेश के श्रद्धालु बाबा के दर्शनों के लिए आते हैं। गुफा में दर्शन के लिए बाबा जी का अखंड धूना, धार्मिक पुस्तकालय, भतृहरि मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर चरण पादुका और बाबा जी की तलाई शामिल है। यहां पुराण प्रसिद्ध मार्कंडेय ऋषि की मूर्ति स्थापित हैं। टौणीदेवी और अवाहदेवी मंदिर भी हमीरपुर जिला के लिए दर्शनों का स्थान हैं। हमीरपुर जिला प्राचीन सांस्कृति और पुरातात्विक दृष्टि से प्रदेश भर में शिक्षा और विकास के नाम से जाना जा रहा हैं।</p>
<p><strong><span style=”color:#d35400″>हमीरपुर की मशहूर हस्तियां</span></strong></p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(2008).jpeg” style=”height:350px; width:650px” /></p>
<p>हमीरपुर जिला से प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि उनके बेटे सांसद अनुराग ठाकुर भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं।</p>
<p><strong><span style=”color:#d35400″>राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, हमीरपुर</span></strong></p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(2010).jpeg” style=”height:350px; width:650px” /></p>
<p>राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, हमीरपुर (NIT Hamirpur) की स्थापना, 1986 में की गई थी और 26 जून 2002 को इसे राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा प्रदान किया गया। बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध करवाने के लिहाज से विश्व बैंक द्वारा इस कालेज को सबसे अच्छी एनआईटी का दर्जा प्रदान किया जा चुका है।</p>
<p><strong><span style=”color:#d35400″>सैनिक स्कूल,सुजानपुर टीहरा</span></strong></p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(2011).jpeg” style=”height:350px; width:650px” /></p>
<p>हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के छोटे से ऐतिहासिक कस्बे सुजानपुर टीहरा में स्थापित भारत का 18वां सैनिक स्कूल आज देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में शुमार हो चुका है। इस समय भारत में कुल 23 सैनिक स्कूल हैं, जो कि केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के तहत आते हैं। 2 नवम्बर 1978 को स्थापित सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा एनडीए परीक्षा में लगातार शानदार परिणाम देता रहा है।</p>
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