<p>देवभूमि हिमाचल के प्रमुख आस्था स्थलों में शुमार सिरमौर के चूड़धार में इन दिनों देश के विभिन्न हिस्सों से भारी तादाद में श्रदालुओं और पर्यटकों के पंहुचने का सिलसिला जारी है। यहां मूलभूत सुविधाओं के अभाव अथवा कोरोना महामारी के चलते मंदिर परिसर में रात्रि ठहराव की व्यवस्था न होने के कारण लोग जंगल में टैंट लगाकर रातें बिता रहे हैं। अचानक यहां श्रद्धालुओं अथवा पर्यटकों की संख्या बढ़ने से नौहराधार और साथ लगते अन्य क्षेत्रों में होटल, विश्राम गृह और पार्किंग की कमी खलने लगी है। पर्यटकों की आमद बढ़ने से स्थानीय दुकानदार, ढाबा धारकों और होटल व्यवसाई अच्छी कमाई कर रहे हैं। वीकेंड पर सबसे ज्यादा भीड़ रहती है।</p>
<p>प्रशासन द्वारा चूड़धार में सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक ही शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। एक ही दिन में करीब 16 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने न चढ़ सकने वाले बाहरी राज्य के यात्री हिमालई जंगल में टेंट लगाकर रात्रि ठहराव कर रहे है। अधिकतर सैलानी और ट्रैकर टेंट के अलावा अपने साथ प्रर्याप्त खाद्य सामग्री और म्यूजिक इंस्ट्रुमेंट्स भी ले जाते हैं। रमणीय स्थल की इस यात्रा को यादगार बनाने की कोशिश करते हैं।</p>
<p>उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाली करीब 12 हजार फुट ऊंची चूड़धार चोटी के घने जंगल में लगे कईं टेंट के बाहर अलाव की रोशनी में गिटार और ढोलक के संगीत पर पार्टी का माहौल भी दिखाई देता है। क्षेत्र में सैलानियों की बढ़ती आमद को देखते हुए सरकार अथवा पर्यटन विभाग द्वारा चूड़धार सर्किट को विकसित करने के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। उक्त परियोजना पूरी होने के बाद पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं मिल सकेगी जाएगी।</p>
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