जयसिंहपुर में कई ऐसी इमारतें हैं, जोकि विभागीय अनदेखी का शिकार हो रही हैं। इन इमारतों को अब भगवान भरोसे छोड दिया गया है। ऐसी ही एक इमारत कर्मचारियों के क्वार्टर के लिए लगभग सोलह साल पहले बनाई गई थी। जिसकी दीवारों में पेड़ पौधे उग गए हैं। जो बड़े बड़े पेड़ो का रूप ले चुके हैं जिस से दीवारों में दरारें पड़ गई हैं। लेकिन किसी का भी ध्यान इस और नहीं है या शायद प्रशासन इन पौधों से इमारती लकड़ी का इंतज़ार कर रहा है। जिसके इस्तेमाल से दरवाजों और खिडकियों की मुरम्मत की जा सके।
साल 2002 में इन क्वार्टरों का उदघाटन किया गया था। लेकिन तबसे आज तक इनकी कोई सुध नहीं ली गई। जिससे जान माल का नुकशान होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं ( 10,20 किलोमीटर ) नोकरी कर रहे कर्मचारीयों को आवंटित किए इन क्वार्टर में ठहरने के वजाए शाम को अपने घरों को चले जाते हैं। क्वार्टर तो सिर्फ इसलिए रखे हैं कि कभी कोई मंत्री अधिकारी ने आना हो तो इन क्वार्टर में कोई न होने के कारण असमाजिक तत्व भी इस इमारत में देखे गए है।
बारिश होने पर इमारत के अंदर बाहर पानी ही पानी नज़र आता है। पिछले दिनों बड़े साफ़ सफाई अभियान विभागों तथा पंचायतों द्वारा चलाये गए लेकिन किसी का भी ध्यान इस इमारत की तरफ नहीं गया क्योंकि वो आभियान तो सिर्फ कुछ दिनों के लिए चलाया गया था उसके बाद साफ़ सफाई ओर रख रखाब क्यों? जैसे तैसे सरकार द्वारा इमारतें बना तो दी जाती हैं लेकिन बिना रख रखाब के अधिकांश इमारतें ढहने के कगार पर हैं।
इमारत में गेट तो दूर की बात है चारदीवारी भी धीरे धीरे गिर रही है या शायद किसी चहीते ठेकेदार को काम देने के लिए इसके गिरने का इंतज़ार किया जा रहा हो। वहीं इस बारे में उपमंडलाधिकारी अश्वनी सूद का कहना है कि जल्द ही उस इमारत की मुरम्मत करवा दी जायेगी।