<p>कारगिल युद्ध में देश के लिए शहीद हुए परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा और शहीद कैप्टन सौरभ कालिया को श्रद्धांजलि दी गई। शहीद कैप्टन विक्रम बत्तरा के माता-पिता ने गांधी ग्राउंड में स्थित उनके समारक पर पुष्पाजंलि अर्पित की। इस दौरान उनके साथ प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। वहीं, कारगिल के 'हीरो' कैप्टन सौरभ कालिया की मूर्ति पर भी पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>सात जुलाई को शहीद हुए थे कैप्टन बत्रा</strong></span></p>
<p>20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा ने कारगिल की प्वाइंट 5140 चोटी से दुश्मनों को खदेड़ने के लिए अभियान छेड़ा और कई घंटों की गोलीबारी के बाद मिशन में कामयाब हो गए। सात जुलाई को वह युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। वह हिमाचल के पालमपुर के रहने वाले थे।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>कारगिल के 'हीरो' कैप्टन सौरभ कालिया</strong></span></p>
<p>जिनकी शहादत से हिंदुस्तान सचेत हुआ, जिनके बलिदान से करगिल के षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ। जिन्होंने राष्ट्र से गद्दारी की जगह दर्द और दहशत की इंतहा चुनी, यातना के 22 दिन चुने और चुनी सबसे खौफनाक मृत्यु। कारगिल युद्ध के पहले हीरो सौरभ कालिया को 15 मई 1999 को अपने साथियों के साथ पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा जिंदा पकड़ लिया था। सौरभ 22 दिनों तक पाकिस्तान सेना की कैद में रहे और 9 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना द्वारा उनके शव सौंपा गया। लेकिन, जो शव सौंपें गए उनकी हालत विभत्स थी। उन्हें क्रूर यातनाएं दी गई थीं।</p>
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