<p>निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीस वृद्धि पर रोक लगाने को लेकर छात्र अभिभावक मंच ने विधानसभा का घेराव किया। मंच ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई कि निजी स्कूलों में फीस, पाठ्यक्रम और विषयवस्तु को संचालित करने के इसी विधानसभा सत्र में कानून पारित किया जाए। मंच के मुताबिक़ प्रदेश में 15 लाख अभिभावक और छात्र निज़ी स्कूलों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं। निज़ी स्कूल अभिभावकों से हर साल साल हज़ारों की मनमानी लूट करते है। </p>
<p>मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों की मनमानी और भारी लूट के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों की मनमानी और लूट रोकने के लिए लगभग एक वर्ष पूर्व कानून का प्रस्ताव सौंप दिया था परन्तु प्रदेश सरकार जान बूझ कर इस प्रस्ताव को विधानसभा में प्रस्तुत नहीं कर रही है। उन्होंने कहा है कि अगर वाकई में प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के छः लाख छात्रों और नौ लाख अभिभावकों के प्रति गम्भीर है तो फिर इसी विधानसभा सत्र में इस प्रस्ताव को पेश किया जाए और निजी स्कूलों के संचालन के लिए कानून पारित किया जाए। </p>
<p>उन्होंने कहा कि सन 1997 के कानून व वर्ष 2003 के नियमों में निजी स्कूलों को संचालित करने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने निजी स्कूलों की लूट रोकने के लिए राज्य सलाहकार परिषद का गठन करने की मांग की है। निज़ी स्कूल किताबों, वर्दी और फंड्स के नाम पर मनमानी लूट कर रहे हैं। विजेंद्र मेहरा ने चेतावनी दी कि स्कूलों की फीस को पूरी तरह माफ न किया गया तो मंच आंदोलन को ओर तेज करेगा।<br />
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