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विक्रमादित्य ने दिया कांग्रेस से अलग बयान, यूसीसी को दिया ‘पूर्ण समर्थन’

डेस्क |

हिमाचल सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया है. उन्होंने इसे देश की एकता-अखंडता के लिए जरूरी बताया है. साथ ही इस पर राजनीति ना करने की नसीहत दी है.
आपको बतो दे कि भारत में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की अवधारणा भारत में कई दशकों से गहन बहस और चर्चा का विषय रही है. यूसीसी के पीछे का विचार यह है कि सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनकी धार्मिक संबद्धता कुछ भी हो, विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक सामान्य सेट होना चाहिए.
भारत, कई धर्मों और धार्मिक कानूनों वाला एक विविध देश होने के नाते, वर्तमान में विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं.

 

भारतीय संविधान समान नागरिक संहिता के बारे में क्या कहता है?

भारत का संविधान, अनुच्छेद 44 के तहत, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में से एक, कहता है कि राज्य अपने नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा. हालाँकि, संविधान निर्माताओं ने मुद्दे की संवेदनशीलता और जटिलता को पहचानते हुए यूसीसी को लागू करना सरकार के विवेक पर छोड़ दिया। वर्षों से, विभिन्न सरकारों ने कार्यान्वयन पर चर्चा और बहस की है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता लागू करने के संकेत के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है.

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन करती है. क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 44 भी कहता है कि देश में UCC होना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा मंगलवार को भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड की पुरजोर पैरवी किए जाने के एक दिन बाद ‘आप’ की तरफ से यह प्रतिक्रिया आई है.