<p>हिमाचल प्रदेश से जुड़े मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश की ओर से वकील पेश न होने पर चीफ सेक्रटरी विनीत चौधरी को सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को लताड़ लगाई। इस पर उन्हें कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी। हिमाचल के चीफ सेक्रटरी से कोर्ट ने वकीलों के पेश न होने का कारण पूछा और कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत में सूबे के वकील क्यों पेश नहीं होते हैं? कोर्ट ने कहा कि आप आगे इस मामले को ध्यान रखें, वरना आप पर कार्रवाई की जा सकती है।</p>
<p>इसके बाद मुख्य सचिव ने मांगी माफी और कहा कि राज्य के वकील हर मामले में पेश होंगे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को समन भेजकर अदालत में हाजिर होने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव से यह बताने के लिए कहा था कि आपराधिक मामलों में राज्य की ओर से कोई वकील पैरवी करने के लिए क्यों नहीं रखा गया है।</p>
<p>कोर्ट ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिमाचल प्रदेश की ओर से कोई प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है। मुख्य सचिव विनीत चौधरी ने इसके बाद कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि अब से राज्य के वकील हर मामले में पेश होंगे।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>ये है मामला</strong></span></p>
<p>बता दें कि जस्टिस एनवी रमाना और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ 2011 से लंबित अपराधिक अपील की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने प्रदेश के वकीलों से ये जानना चाहा कि जेल में 15 साल से ज्यादा समय बिता चुके दोषियों को पहले रिहा करने पर विचार के लिए कोई माफी योजना लंबित तो नहीं है।</p>
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