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धर्मांतरण विरोधी कानून के अंतर्गत ज़बरन निक़ाह करने के मामले पर लिया जाए संज्ञानः लेखराज राणा

सचिन शर्मा |

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में धर्म परिवर्तन कराकर जबरन निकाह करने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक एक मुस्लिम लड़का हिंदू लड़की को नौकरी और शादी का झांसा देकर दिल्ली ले गया। लड़की ने पुलिस को इसकी शिकायत करते हुए कहा कि लड़के ने उसका धर्म परिवर्तन कराकर जबरन उसके साथ निकाह किया। इतना ही नहीं शामी के परिवारवालों ने पीड़िता को गोमांस भी खिलाया और औलाद प्राप्ति की नीयत से एक दिन के लिए कब्रिस्तान में भी रखा। हालांकि पीड़िता 7 फरवरी को जैसे-तैसे लड़के के चंगुल से भाग कर शिमला अपने माता-पिता के पास पहुंची और लड़के के खिलाफ शिमला डीसी कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई। पीड़िता ने पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है

वहीं, मामला सामने आने के बाद विश्व हिंदू परिषद लड़की के साथ खड़ा हो गया है और मुस्लिम लड़के के खिलाफ कड़ी कारवाई करने की मांग की है। विश्व हिंदू परिषद के प्रदेशाध्यक्ष लेख राज राणा  ने कहा कि प्रदेश में बाहरी राज्यों से लोग बिना किसी पुलिस वेरिफिकेशन के रह रहे हैं, जो इस तरह की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।उन हिन्दुओं के लिए आंखे खोलने वाली घटना जो लवजिहाद को काल्पनिक कह कर अपने को धर्मनिरपेक्षता का प्रतिरूप बोलते थे। हिन्दू समाज को झकझोरने वाली एक और घटना है हिन्दू बेटी ने उन लव जिहादियों के चुंगल से निकलने की हिम्मत दिखाई, यह सराहनीय है। पिछले 3 माह के अंदर हिमाचल प्रदेश में यह 8वां मामला है जिसके समाधान में विश्वहिन्दूपरिषद के कार्यकर्ता अपनी सामाजिक भूमिका निभा रहे हैं।

 प्रशासन का सहयोग भी मिल रहा है किंतु आपराधिक प्रवृत्ति के प्रवासी श्रमिकों के परिचयपत्र की जॉच पड़ताल के विषय मे अभी वह गंभीरता नहीं है। उनकी सरकार से मांग है कि नए धर्मांतरण विरोधी कानून के अंतर्गत इस मामले का संज्ञान लिया जाए। विश्वहिंदू परिषद की इस मामले पर पूरी नज़र है आवश्यकता हुई तो प्रदेशव्यापी प्रदर्शन भी किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में दलित, महिला या नाबालिग का जबरन धर्मांतरण कराने पर 2 से 7 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है। अगस्त 2019 में यह कानून लाया गया। इस कानून के मुताबिक अगर कोई शख्स अपना मजहब बदलना चाहता है तो उसे कम से कम एक महीने पहले जिलाधिकारी को लिखकर देना होगा। उसे यह बताना होगा कि वह स्वेच्छा से ऐसा कर रहा है। धर्मांतरण कराने वाले पुरोहित/पादरी या किसी धर्माचार्य को भी एक महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी।