पहाड़ों की रानी शिमला में चले पानी के संकट के बाद भले ही परिस्थितियों में अब सुधार आ गया है और पानी की किल्लत दूर हो गई है। लेकिन, शिमला के माथे पर लगा पानी की किल्लत का का बदनुमा दाग धूल नहीं रहा है। नतीज़तन शिमला में पर्यटन कारोबार का आधा हिस्सा बुरी तरह पिट चुका है, जिसका खामियाजा यहां के पर्यटन से जुड़े व्यवसाय को भुगतना पड़ रहा है।
अब सब कुछ गवाने के बाद होश में आए तो क्या फायदा…?? क्योंकि शिमला का आधा पर्यटन सीजन तो पानी की कहानी की भेंट चढ़ चुका है। ऐसे में सांप के गुजर जाने पर सरकार अब लकीर पिटती नज़र आ रही है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर अब कह रहे है कि शिमला में पानी की समस्या दूर हो चुकी है। शिमला में हर रोज पानी की मात्रा बढ़कर 40 एमएलडी से ऊपर पहुंच गई है। आगे भी ये सुनिश्चित किया जायेगा की शिमला में पानी की समस्या न हो और इसके लिए सुदृढ़ योजना बनाई जा रही है।
भले ही आज भी शिमला के लोगों को चौथे दिन पानी मुहैया करवाया जा रहा है, लेकिन सरकार ये कहकर अपनी पीठ थपथपाने में लगी हुई है कि उसके शिमला को पानी के संकट से उभार दिया है और पर्यटन सीज़न में कमी न हो।