हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग के सहयोग से “बाल श्रम निषेध दिवस” के अवसर पर आयोजित विधानसभा “बाल सत्र” में बाल विधायकों ने प्रश्नोत्तर और प्रक्रिया 324 के माध्यम से अपनी आवाज़ मुखर की.
इस “बाल सत्र” में प्रश्नोत्तर के पहले ही सवाल पर “बाल सरकार” घिरती हुई नज़र आई. विपक्ष की विधायक और पालमपुर से विधानसभा सदस्य सुश्री अक्षरा ने प्रश्न किया कि प्रदेश में कितने राजकीय करियर काउंसलिंग संस्थान मौजूद है.
इस प्रश्न का जवाब देते हुए कुल्लू से विधायक और प्राथमिक शिक्षा मंत्री सुश्री कामाख्या कौंडल ने खेद जताते हुए बताया कि प्रदेश में राजकीय करियर काउंसलिंग संस्थान जैसी कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है, और क्योंकि यह मुद्दा सदन में पहली बार उठा है.
ऐसे में वह करियर काउंसलिंग संस्थान प्रदेश में लाने पर विचार करेंगी. इसी के साथ इस सवाल पर विपक्ष के सदस्य और झंझेली से बाल विधायक तमेश कुमार ने पूरक प्रश्न भी किया और पूछा कि करियर काउंसलिंग व्यवस्था को अभी तक क्यों लागू नहीं किया गया.
इसका जवाब देते हुए उन्होंने बताया की यह मुद्दा सरकार के सामने पहली बार आया है और इसकी अहमियत समझते हुए इसके प्रति विभाग की टीम गठित की जाएगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे एच.पी स्पीकर श्री कुलदीप सिंह पठानिया ने अपने स्वागत संबोधन में कहा की- ऐसे “बाल सत्र” भविष्य के विधायक तैयार करने में बड़ी भूमिका निभायेंगे। इतना ही नहीं बच्चों की सरकार कैसी हो?
अभियान के तहत बाल मेला द्वारा विभिन्न विषयों पर ऑनलाइन सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें हिमाचल के 50,000 से ज्यादा बच्चे जुड़े और अपने हिस्से के सवाल दिग्गज नेताओं, कलाकारों, अधिकारीयों से पूछे.
डिजिटल बाल मेला की जान्हवी शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश दूसरा ऐसा राज्य है जहाँ विधानसभा “बाल सत्र” का आयोजन किया गया है. इसके पहले 14 नवम्बर 2021 में पहली बार राजस्थान इस विशेष “बाल सत्र” का साक्षी बना था.
राजस्थान विधानसभा में आयोजित “बाल सत्र” में देश भर के 200 बच्चों ने एक दिन के लिए “बाल विधायक” बन सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल की कार्यवाही का संपादन किया था.