<p>हमीरपुर को डस्टबिन फ्री नगर परिषद घोषित करने की जल्दबाजी प्रशासन को इतनी ज्यादा थी कि प्रशासन को इस बात का ध्यान नहीं दिया कि दिन के समय अगर किसी राहगीर ने कहीं पर भी किसी तरह का कूड़ा-कचरा फेंकना है तो वह उसे कहां पर फेंके। सरकार पहले ही 26 लाख रुपए का सफाई का ठेका देकर संदेह के घेरे में चल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 100 के करीब सफाई कर्मचारी इस समय हमीरपुर के अलग-अलग भागों में काम कर रहे हैं और इनका निरीक्षण बकायदा किया जा रहा है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि बहुत से कर्मचारी 18 साल से कम उम्र के भी हैं जो कि सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए काम करते नजर आ रहे हैं ।</p>
<p>इतना ही नहीं दोपहर के समय अगर कोई व्यक्ति बाजार में कुरकुरे – चिप्स या किसी भी तरह की खाद्य पदार्थ जो डिस्पोजेबल में खाता है। उस डिस्पोजेबल को कहां फेंकना है यह एक हमीरपुर के लोगों के लिए और विशेष रूप से बाहर से आने वाले लोगों के लिए समस्या बन चुकि है। इस विषय को लेकर एक एनआरआई जो कि लंदन में रहते हैं कहते हैं कि मैं हमीरपुर आकर हैरान हो गया लंदन को भी कूड़ा कचरे से बिल्कुल नफरत है। लेकिन वहां पर भी जगह-जगह कचरा फेंकने के लिए डस्टबिन का प्रावधान किया गया है। लेकिन मैंने पहली बार ऐसी चीज देखी है कि डस्टबिन फ्री घोषित करने के चक्कर में आप पूरे शहर से डस्टबिन ही गायब कर दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह का प्रबंधन मेरी समझ से परे है।</p>
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