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हौसलें की ‘उड़ान’: दिव्यांग बच्चों को समाज से जोड़ने की कोशिश

पीं. चंद |

आज हम ऐसे बच्चों के हौसलों के उड़ान की बात कर रहे है,  जो हमारे समाज का हिस्सा तो है लेकिन समाज की मुख्यधारा से उनको जोड़ना बहुत जरूरी है। जी हां  हम बात कर रहे है दिव्यांग बच्चों की , जिनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अभी बहुत सा काम करना बाकी है। दुनिया में पैदा होने वाला हर बच्चा शारीरिक  मानसिक रूप से स्वस्थ नही होता है कुछ बच्चे इसमें पिछड़ जाते है। अभी तक अपंगता को अभिशाप माना जाता रहा है लेकिन वक़्त बदलने के साथ अब इनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकारें और कुछ संस्थाए काम कर रही है।

ऐसी ही संस्था शिमला में भी काम कर रही है , उड़ान नामक ये संस्था 50 दिव्यांग बच्चों को जीने की राह दिखा रही है और दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की दिशा में कार्य कर रही है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यही है कि इन बच्चों की समस्याएं अलग है इसलिए इनके लिए मूलभूत ढांचा भी अलग से होना चाहिए। जिसको विकसित करने की जरूरत है तभी ऐसे बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है।