<p>हिमालय क्षेत्रों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, चम्बा, शिमला, सिरमौर और मंडी में कम तीव्रता के भूकंप लगातार दर्ज किए जा रहे हैं। हालांकि इन झटकों से बढ़ा नुकसान नही हुआ है लेकिन ग्लेशियरों के लिए छोटे भूकंप ख़तरा बन सकते है। क्योंकि ये झटके ग्लेशियरों में कंपन पैदा कर उनको कमजोर कर सकते हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की सूरत में ग्लेशियरों के टूटने का डर बना रहता है।</p>
<p>ग्लेशियर को सिर्फ़ भूकम्प से ही ख़तरा नहीं हैं बल्कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भी हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। पिछले कुछ दशकों में धरती का तापमान बढ़ने से गंगोत्री, पिंडारी, नंदाकिनी और मंदाकिनी ग्लेशियरों के पिघलने में तेजी आई है। विकास के नाम पर पहाड़ों के सीने छलनी किए जा रहे है। नतीज़ा बाढ़, ग्लेशियर का पिघलना और कई तरह की समस्याओं का सामना विश्व कर रहा है। लेकिन मानव अपनी मृग तृष्णा मिटाने के लिए पहाड़ों को बचाने के बजाए उजाड़ रहे हैं। सरकारें विकास के नाम पर पहाड़ों से खिलबाड़ कर रही है जिसका परिणाम कभी न कभी तो भुगताना पड़ेगा।</p>
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