हिमाचल

“जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों का हो पंचायती राज विभाग में विलय”

प्रदेश के जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों का पंचायती राज या ग्रामीण विकास विभाग में विलय करे हिमाचल प्रदेश पंचायत सचिव एसोसिएशन के बैनर तले प्रदेश भर में आज मंगलवार को सामुहिक अवकाश कर आंदोलन का बिगुल बजा दिया

राज्य अध्यक्ष अमित जसरोटिया ने बताया कि विभाग में विलय न होने के कारण अभी तक इन कर्मियों को न तो छठे वेतन आयोग का लाभ मिला है तथा न ही इनका एनपीएस कटना बंद हुआ है जिस कारण इस वर्ग के कर्मचारियों में भारी आक्रोश है वित्त विभाग बार- बार अनावश्यक आपत्तियां लगा रहा है जिसका सरकार भी संज्ञान नहीं ले रही है .

उन्होंने बताया कि जिला परिषद कैडर के करीबन 4700 कर्मचारी सरकार की हर योजनाओं को लोगों तक पहुंचा रहे हैं वर्तमान सरकार ने चुनावों से पूर्व इन कर्मियों से वायदा किया था कि जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों का सरकार बनते ही ग्रामीण विकास या पंचायती राज विभाग में विलय कर दिया जायेगा लेकिन 6 माह गुजर जाने के बाद भी अभी तक कोई भी निर्णय इन कर्मियों के पक्ष में नहीं आया है।

उन्होंने कहा कि छठे वेतन आयोग की फाइल अभी तक क्लियर नहीं हुई है जबकि उनसे जूनियर कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का लाभ मिल चुका है विभाग जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है इस वर्ग के कर्मचारियों में अधिशासी अभियंता ,सहायक अभियंता , कनिष्ठ अभियंता, पंचायत सचिव ,तकनीकी सहायक तथा लेखापाल सहित अन्य कर्मचारी सरकार से कई बार गुहार लगा चुके हैं कि उनकी समस्याओं काअविलंब समाधान किया जाए.

लेकिन अभी तक इन कर्मचारियों को आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है अमित जसरोटिया और जिला परिषद कैडर कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू , ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध राणा तथा संसदीय सचिव किशोरी लाल से गुहार लगाई है कि जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों का ग्रामीण विकास या पंचायती राज विभाग में विलय किया जाए.

जिला परिषद कैडर कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष राजेश ठाकुर तथा पंचायत सचिव संघ के राज्य अध्यक्ष अमित जसरोटिया ने सरकार को 10 से 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है और मांग की है कि यदि इस अवधि के दौरान उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो जिला परिषद के समस्त कर्मचारी पूर्व की भांति कोई बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे

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