असम में लंबे समय से चल रहे नागरिकता के विवाद को लेकर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (नागरिकता का राष्ट्रीय पंजीकरण) का आखिरी ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है। इसके तहत 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को वैध नागरिक मान लिया गया है। इसमें करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं, जो अपनी नागरिकता को साबित नहीं कर सके हैं।
असम में वैध नागरिकता के लिए 3 करोड़ 29 लाख 91 हजार 384 लोगों ने एनआरसी में आवेदन किया था, जिसमें से 40 लाख 7 हजार 707 लोग अवैध करार दे दिए गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये 40 लाख लोग कौन हैं, जिनपर 'बेघर' होने का खतरा मंडरा रहा है। असम में घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए यह अभियान करीब 37 सालों से चल रहा है। 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान लोग वहां से भारत भाग आए और यहीं बस गए।इस कारण स्थानीय लोगों और घुसपैठियों के बीच कई बार लड़ाई हुईं।
1980 के दशक से ही यहां घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए आंदोलन हो रहे हैं। मोदी ने चुनाव में हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही थी। इसलिए सरकार नागरिकता संशोधन बिल पास कराना चाहती है। यदि मुस्लिम घुसपैठियों पर सख्ती हुई तो सामाजिक खाई बढ़ने के भी आसार हैं। बता दें कि घुसपैठियों में मुस्लिमों के अलावा बड़ी तादाद में बांग्ला-हिंदू भी हैं।