दिल्ली की एक अदालत ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले से जुड़े एक मामले में पूर्व कोयला सचिव एससी गुप्ता समेत पांच लोगों को सजा सुनाई है। एससी गुप्ता के अलावा दो अन्य नौकरशाहों ए कोफ्रा और केसी समारिया को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है। कारावास के अलावा अदालत ने तीनों नौकरशाहों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। हालांकि सजा की मियाद चार साल से कम होने की वजह से अदालत से इन्हें बाद में जमानत मिल गई। इसके अलावा विकास पटानी और आनंद मलिका को चार-चार साल कारावास की सजा सुनाई गई है।
घोटाले के समय विकास पटानी वीएमपीएल (विकास पटानी मेटल्स एंड पावर लिमिटेड) के प्रबंध निदेशक थे। वहीं, आनंद मलिक कंपनी के अधिकृत हस्ताक्षरी थे। पीटीआई की खबर के मुताबिक अदालत ने पटानी पर 25 लाख रुपये और मलिक पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सजा के ऐलान के बाद इन दोनों को जेल भेज दिया गया है। वहीं, वीएमपीएल पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
यूपीए सरकार के शासन काल के दौरान हुआ यह घोटाला पश्चिम बंगाल के मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लॉक के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। ये दोनों कोयला ब्लॉक वीएमपीएल को आवंटित किए गए थे। सीबीआई ने इस मामले में सितंबर 2012 में प्राथमिकी दर्ज की थी। मामले की सुनवाई के दौरान उसने पांचों दोषियों के लिए अधिकतम पांच साल की सजा और निजी कंपनी पर भारी जुर्माना लगाने की मांग की थी। इस अपराध में अपराधी ठहराए गए दोषियों को न्यूनतम एक साल और अधिकतम सात साल जेल की सजा हो सकती है।