लोकसभा चुनाव 2024 में तीसरी बार जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने स्ट्रैटजी बनानी शुरू कर दी है। बुधवार देर रात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर कुछ चुनिंदा कैबिनेट मंत्रियों, पार्टी के प्रभारियों और सांसदों की एक मीटिंग हुई, इसमें कई निर्णय लिए गए। सूत्रों की मानें तो अब हरेक सांसदों के जिम्मे 100 बूथ और विधायकों के जिम्मे 25 ऐसे बूथ होंगे, जहां पार्टी कमजोर है। इसके साथ ही टिकट वितरण समेत कई फैसले किए गए।
पार्टी के उच्चस्तर पर इस बात को लेकर सहमति बनी है कि ऐसे मौजूदा सांसद जिनका जन्म 1955 के बाद हुआ है, उन्हें ही 2024 में लोकसभा का टिकट दिया जाएगा। इससे पहले जन्मे नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा। यानी 70 प्लस के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा। केवल एक-दो अपवादों में ही इस नियम से छूट मिलेगी। यह नियम लागू हुआ तो भाजपा के मौजूदा 301 सांसदों में से 81 को टिकट नहीं मिलेगा।
पार्टी का मानना है कि नए लोगों को तभी मौका मिलेगा जब पुराने कार्यकर्ता, नए लोगों को रास्ता देंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, यह टिकट काटना नहीं बल्कि बैटन अपने से कम उम्र के कार्यकर्ताओं को सौंपने जैसा है।
17वीं लोकसभा में भाजपा के लगभग 25% सांसद 2024 के चुनाव तक 70 से अधिक उम्र के हो जाएंगे। 1956 से पहले जन्मे मौजूदा सांसदों में सबसे अधिक यूपी से 12, गुजरात से 10, कर्नाटक से 9, महाराष्ट्र से 5, झारखंड से 2, बिहार से 6, मध्य प्रदेश से 5 और राजस्थान से 5 हैं।
भाजपा ने देशभर में 74 हजार कमजोर बूथों का चयन किया है, जहां संगठन पूरी तरह कमजोर है। इन बूथों को मजबूत करने की जिम्मेदारी विधायक और सांसदों को दी गई है। यहां पर विधायक और सांसद लोकल इन्फ्लूएंसर, संघ के स्थानीय प्रचारक के साथ कॉर्डिनेट कर बूथ मजबूत करने का काम करेंगे।