<p>सरकारी कर्मचाारियों को अब 8 घंटे की बजाय 9 घंटे शिफ्ट करनी पड़ सकती है। जी हां, केंद्र सरकार की ओर से वेज कोड रूल्स का ड्राफ्ट जारी किया है। ड्राफ्ट में सरकार ने 9 घंटे कामकाज की सिफारिश की है। सरकार ने इसमें नेशनल मिनिमम वेज की घोषणा नहीं की है।</p>
<p>हालांकि इस ड्राफ्ट में सरकार ने ज्यादातर पुराने सुझावों को ही रखा है। जिसमें मजदूरी तय करने के लिए पूरे देश को तीन जियोग्राफिकल वर्गों में बांटा गया है। इसमें पहले वर्ग में 40 लाख या इससे ज्यादा की आबादी वाले मेट्रोपोलिटन शहर, दूसरे वर्ग में 10 से 40 लाख तक की आबादी वाले नॉन मेट्रोपोलिटन शहर और तीसरे वर्ग में ग्रामीण इलाकों को शामिल किया गया है।</p>
<p>ड्राफ्ट में कहा गया है कि, भविष्य में एक एक्सपर्ट कमेटी मिनिमम वेज तय करने की सिफारिश सरकार से करेगी। इसके अलावा मौजूदा समय में चल रहा 8 घंटे रोजाना कामकाज के नियम को लेकर भी ड्राफ्ट में कोई स्पष्टता नहीं है। अभी इसी नियम के तहत 26 दिन काम के बाद सैलरी तय होती है।</p>
<p>श्रम मंत्रालय के एक इंटरनल पैनल ने जनवरी में अपनी रिपोर्ट में 375 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से नेशनल मिनिमम वेज तय करने की सिफारिश की थी। पैनल ने इस मिनिमम वेज को जुलाई 2018 से लागू करने को कहा था। सात सदस्यीय पैनल ने मिनिमम मंथली वेज 9750 रुपये रखने की सिफारिश की थी। साथ ही शहरी कामगारों के लिए 1430 रुपए का हाउसिंग अलाउंस देने का सुझाव दिया था।</p>
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