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आमजन से ज्यादा सरकार को ‘बाबूओं’ की हेल्थ की चिंता

पंकज चम्बियाल |

केन्द्र सरकार हेल्थकेयर को लेकर अपने कर्मचारियों पर ज्यादा मेहरबान है। केन्द्र सरकार जितना खर्च सरकारी कर्मचारियों की हेल्थ पर करती है उसका छठा हिस्सा आम आदमी पर खर्च करती है। नेशनल हेल्थ अकांउट्स की 2014-15 रिपोर्ट के मुताबिक सरकार औसतन आम आदमी की हेल्थ पर 1,108 रूपए खर्च किया। वहीं केन्द्र सरकार के कर्मचारियों पर 6,300 प्रति कर्मचारी खर्च किया।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने हेल्थ पर 2,000  रूपए प्रति व्यक्ति खर्च किया फिर भी ये सरकारी कर्मचारियों के मुकाबले काफी कम है।

नेशनल हेल्थ अकांउट्स (NHA)  के अनुसार, भारत का 2014-15 में कुल हेल्थ का खर्च 3,826  रूपएप्रति व्यक्ति रहा जिसमें से 2,394  रूपए लोगों ने अपनी जेब से दिए। सरकार का केन्द्रीय हेल्थ सर्विस ( CGHS)जो कर्मचारी काम कर रहे है, रिटायर्ड कर्मचारी,  पार्लियामेंट के वर्तमान और एक्स- सदस्यों पर 2,300 करोड़ रूपए का खर्च किया।

हेल्थ मीनिस्टर जेपी नड्डा ने 27 फरवरी 2015 में संसद में बताया था कि CGHS में 36.7 लाख लाभार्थी हैं। जिसमें 6,300 रूपए प्रति CGHS लाभार्थी को मिलते हैं।  यह आंकड़ा 6,375 रूपए के करीब है जो NHA आंकड़ो से मेल खाता है। नड्डा ने दिसंबर में संसद में उत्तर देते हुए बताया था कि इसमें कर्मचारी के अस्पताल का खर्च इंक्लूड नहीं है। जिसका सीधा मतलब है कि CGHS की प्रति कर्मचारी खर्च इससे भी ज्यादा होगा।   

2014-15 में केन्द्र सरकार ने नेशनल हेल्थ मिशन के तहत 20,199 करोड़ रूपए खर्च किए। जिसका देश की 1.25 बिलियन जनसंख्या में प्रति व्यक्ति 162 रूपए मिलते है। यदि नेशनल हेल्थ मिशन यहीं खर्च केन्द्र सरकार के कर्मचारियों पर करें तो सरकार को 40 गुना ज्यादा बजट चाहिए । जो लगभग 8 लाख करोड़ रूपए या कहें सरकार पूरे साल का बजट होगा।