बिस्कुट, सौंदर्य उत्पाद और टीवी-फ्रिज जैसे घरेलू उपकरणों की कीमतों में चालू तिमाही में बढ़ोतरी हो सकती है। कच्चे माल की ऊंची कीमत और मार्जिन के दबाव के कारण कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी की तैयारी कर ली है। इसकी घोषणा कभी भी की जा सकती है।
उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरण निर्माता संघ के अध्यक्ष एरिक ब्रेगांजा का कहना है कि पिछले कुछ समय से कीमतों में बढ़ोतरी की जा रही है। उद्योग ने त्योहारी सीजन के चलते कीमतों में बढ़ोतरी को टाल दिया था। हालांकि, हम महंगे कच्चे माल के कारण इस तिमाही में कीमतों में पांच फीसदी वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी की मात्रा अलग-अलग हो सकती है। इसका कारण यह है कि कुछ कंपनियां पहले ही ऐसा कर चुकी हैं, जबकि कुछ कंपनियां कीमतें बढ़ाने की तैयारी में हैं।
पंखा, कूलर और रसोई से जुड़े उपकरण बनाने वाली कंपनी ओरिएंट इलेक्ट्रिक लिमिटेड का कहना है कि पिछले 18 महीनों में कच्चे माल की कीमतें अनियमित तरीके से बढ़ी हैं। ओरिएंट इलेक्ट्रिक में होम अप्लायंसेज के कारोबारी प्रमुख सलिल कपूर का कहना है कि प्लास्टिक, स्टील और तांबे जैसी वस्तुओं की कीमतों में उछाल आया है। उन्होंने कहा कि कंपनी अपने सभी उत्पादों की कीमतों में इस तिमाही में चार से सात फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती है। ढुलाई की कीमतों में भी उछाल आया है।
ऐसे में हमारे पास उपभोक्ताओं पर बोझ डालने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं है। कपूर का कहना है कि हम पहले भी कीमतों में बढ़ोतरी की थी। इस तिमाही में यह फिर होगा। कपूर के मुताबिक, ब्रांडेड कंपनियों ने पहले घरेलू उपकरणों की कीमतों में पांच से 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी की थी। इससे मांग में कमी आई है।
बिस्कुट निर्माता कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड इस तिमाही में अपने उत्पादों में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी की तैयारी कर रही है। पिछले महीने विश्लेषकों से साथ बातचीत में ब्रिटानिया का प्रबंध निदेशक वरुण बैरी ने यह बात कही थी। कंपनी का कहना है कि गेहूं, चीनी, पाम तेल की कीमतों में तेजी जारी है। ब्रिटानिया ने अपने उत्पादों की कीमतों में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एक फीसदी, दूसरी तिमाही में चार फीसदी और तीसरी तिमाही में आठ फीसदी की बढ़ोतरी की थी।
2020 में कोरोना के कारण दुनिया के अधिकांश देशों में लॉकडाउन लगा था। लॉकडाउन खुलने के बाद 2021 की शुरुआत में वस्तुओं और कच्चे माल की मांग बढ़ी। इससे महंगाई का दबाव बन गया। इसका असर भारत में भी दिखा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में दिसंबर तक थोक मूल्य सूचकांक में तेज वृद्धि रही। इसकी प्रमुख वजह आर्थिक गतिविधियों में उछाल, कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी, महंगा आयात और ढुलाई की उच्च दर रही।
पिछले सप्ताह डाबर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ने तिमाही नतीजे जारी करते समय कहा था कि कंपनी महंगाई से निपटने के लिए अपने उत्पादों की कीमत बढ़ा चुकी है। कंपनी स्वास्थ्य से जुड़े हनीटस, पुदीन हरा और च्यवनप्राश जैसे उत्पादों की कीमतों में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर चुकी है। मल्होत्रा ने कहा था कि कंपनी ने तीसरी तिमाही में कीमतों में दूसरे दौर की बढ़ोतरी की थी। इसका असर चौथी तिमाही में दिखेगा।
उन्होंने कहा था कि कंपनी लागत-बचत कार्यक्रम पर काम कर रही है। ऐसे में कंपनी कीमतों में और बढ़ोतरी कर सकती है। लोरियल इंडिया के प्रबंध निदेशक अमित जैन का कहना है कि कच्चे माल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में कंपनी इस साल के मध्य में अपने उत्पादों की कीमत बढ़ा सकती है।
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