इसरो ने गुरुवार को दुनिया के सबसे छोटे सैटेलाइट कलामसैट वी-2 को लॉन्च किया है। इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुई है। कलामसैट सैटेलाइट का नामकरण पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है। इसे चेन्नई के छात्रों के समूह स्पेस किड्स ने तैयार किया है। कलामसैट वी-2 को पीएसएलवी-सी44 मिशन के तहत लिया गया है।
दुनिया का सबसे हल्का सैटेलाइट:
इससे पहले आजतक दुनिया में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब सिर्फ 1.2 किलोग्राम का कोई सैटेलाइट लॉन्च किया गया हो। लेकिन इसरो और भारतीय छात्रों ने यह कारनामा कर दिखाया है। इसरो ने इस सैटेलाइट के बारे में बताया है कि इस उपग्रह से शौकिया तौर पर रेडियो सेवा चलाने वालों को अपने कार्यक्रमों के लिए तरंगों के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी। यह पीएसएलवी के नए संस्करण पीएसएलवी-डीएल का पहला सैटेलाइट है।
भारत से सभी छात्रों का इस पर अधिकार है। इसलिए सभी छात्रों से निवेदन है कि वे अपने विज्ञान के नए आविष्कारों को लेकर हमारे पास आएं। हम उनके उपग्रह लॉन्च करेंगे और हम चाहते हैं कि वो देश को विज्ञान की दिशा में आगे बढ़ाएं।
कलामसैट सैटेलाइट की ये है खासियत:
कलामसैट को बच्चों ने जरूर तैयार किया है, लेकिन यह बेहद महत्वपूर्ण सैटेलाइट है जो बड़े काम का है। जानकारों के मुताबिक, कलामसैट सैटेलाइट को हैम रेडियो ट्रांसमिशन (शौकिया रेडियो ट्रांसमिशन) के कम्युनिकेशन सैटेलाइट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। हैम रेडियो ट्रांसमिशन से मतलब वायरलैस कम्युनिकेशन के उस रूप से है जिसका इस्तेमाल पेशेवर गतिविधियों में नहीं किया जाता है।
PM मोदी और रक्षा मंत्री ने दी बधाई:
मिशन की सफलता पर पीएम मोदी ने भी इसरो को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'PSLV के एक और सफल प्रक्षेपण के लिए हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई। इस लॉन्च ने भारत के प्रतिभाशाली छात्रों द्वारा निर्मित कलामसैट को में ऑर्बिट प्रक्षेपित किया। 'एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'इस प्रक्षेपण के साथ भारत सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण प्रयोगों के लिए एक कक्षीय मंच के रूप में अंतरिक्ष रॉकेट के चौथे चरण का उपयोग करने वाला पहला देश बन गया है।'