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मार्च में चंद्रयान-2 लॉन्च करेगा भारत, चीन समेत अन्‍य देशों को देगा कड़ी टक्‍कर

<p>पड़ोसी देश चीन ने चंद्रमा पर मानव भेजने के अपने मिशन को भले ही पूरा कर लिया है, लेकिन अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत उससे पीछे नहीं है। गगनयान की सफलता के बाद वह इससे काफी आगे निकल जाएगा। इसरो प्रमुख के. सिवान ने शुक्रवार को यह दावा किया। साथ ही कहा कि गगनयान के जरिए भारत अंतरिक्ष में ऐसी ताकत हासिल कर लेगा, जो अब तक किसी भी देश के पास नहीं है। वह गगनयान को चंद्रमा के साउथ पोल पर भेजेगा। अभी तक यहां किसी भी देश का यान नहीं पहुंचा है।</p>

<p>इसरो प्रमुख ने बताया कि चंद्रयान-2 अभियान से जुड़ी जानकारी भी साझा की। उन्होंने बताया कि यह अभियान इस साल 25 मार्च से 30 अप्रैल के बीच अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर दिया जाएगा। इससे भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की ताकत बढ़ेगी। चंद्रमा पर मानव को लेकर जाने वाले गगनयान को लेकर उन्होंने इस दौरान कुछ नई जानकारियां साझा की।</p>

<p>उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष पर भेजे जाने वालों की खोज शुरू हो गई है। इस काम में वायु सेना और दूसरी एजेंसियों को जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि इनके लिए वायुसेना के ही किसी अनुभवी पायलट को मौका मिल सकता है।</p>

<p>उन्होंने गगनयान के पहले परीक्षण यान को भेजे जाने की अवधि को आगे बढ़ाने के कारणों को भी साफ किया और कहा कि प्रयोग में ज्यादा समय लगने से इसके समय को आगे बढ़ाया गया है। वैसे भी यान की लांचिंग के लिए दो ही विडों ( समय) उपयुक्त है। पहला मार्च-अप्रैल का या फिर दिसंबर का। निश्चित ही देरी के चलते हमने इसे मार्च-अप्रैल से आगे बढ़ाकर दिसंबर कर दिया है। अब यह दिसंबर 2020 में जाएगा, जबकि दूसरा परीक्षण यान जुलाई 2021 के आसपास भेजा जाएगा। वहीं तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर गगनयान को दिसंबर 2021 में भेजा जाएगाा।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>परीक्षण यान में भेजे जाएगे रोबोट</strong></span></p>

<p>इसरो प्रमुख ने गगनयान से पहले परीक्षण के तौर पर भेजे जाने वाले दोनों यानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दोनों यानों में मानव की तरह सेंसटिव सेंसर वाले रोबोट भेजे जाएगे। उन्होंने कहा कि अब तक ऐसे यानों में किसी न किसी जीव को भेजा जाता था, लेकिन उससे कोई नतीजा नहीं मिल पा रहा था। इसे देखते हुए यह फैसला लिया गया है। यह परीक्षण इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि इसके जरिए ही यह पता लगाया जाएगा, कि अंतरिक्ष में जाने पर मानव को किन-किन चुनौतियों का सामना करना होगा।</p>

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