इंडिया

9 बार जेल…रात 12 बजे फहराया तिरंगा, ऐसे शुरू हुआ नेहरू का सियासी सफर

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बहुमुखी व्यक्तित्व! देशभक्त, दार्शनिक, इतिहासकार, राजनयिक, कानूनविद और आखिर में आधुनिक भारत के शिल्पकार थे. लेकिन सबसे बढ़कर एक स्वप्नदृष्टा थे. उनकी लेखनी में कवियों जैसे रूपक और चित्र दिखाई देते हैं. वहीं उनकी नीतियों में भारत के दूरगामी विकास के बीज हैं. देश के बुनियादी ढांचे ने उसी से आकार लिया है.

जेल में लिखी ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’

अवसान की आधी सदी बाद नेहरू की प्रासंगिकता फिर चर्चा में है, क्योंकि उन्हीं की बनाई आर्थिक संस्थाओं ने देश को 2008 में आई वैश्विक मंदी की आंच उस प्रकार महसूस नहीं होने दी, जैसी कुछ अन्य देशों ने झेली. 1942 में नेहरू समेत कई महान हस्तियां महाराष्ट्र की अहमदनगर जेल में बंद थीं. तीन साल का लंबा समय यहां गुजारा. नेहरू वक्त की कीमत जानते थे. इस खाली समय का इस्तेमाल उन्होंने लिखने में किया और जो लिखा वह इतिहास की एक धरोहर बन गया. वह किताब थी-डिस्कवरी ऑफ इंडिया.

9 बार गए जेल

गजब की पैनी याददाश्त थी उनकी. भारत की यात्राओं के अनुभव उन्होंने लिखे. इसमें उन्होंने इतिहास को तटस्थ भाव से खंगाला. अपने समय के हालातों का विश्लेषण किया और आने वाले कल के लिए उत्साह से भरे. कुल मिलाकर नेहरूजी नौ बार जेल गए. जेल जीवन का एक भी क्षण व्यर्थ नहीं जाने दिया. तीन अनमोल किताबें कारागार में ही लिखीं.

धनी परिवार से था संबंध

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. इनकी माता जी का नाम स्वरूपरानी नेहरु और पिताजी का नाम मोतीलाल नेहरु था. पंडित मोतीलाल पेशे से बैरिस्टर थे. वहीं, पंडित नेहरू की धर्मपत्नी का नाम कमला नेहरु था. इनकी एक बेटी इंदिरा गांधी थी, जो लाल बहादुर शास्त्री जी की उत्तराधिकारी बनी और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी.

नेहरू जी ने प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में प्राप्त की. वहीं, उच्च शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की. लंदन से इन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान नेहरू जी ने समाजवाद की जानकारी भी इकठ्ठा की. उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद नेहरू जी साल 1912 में स्वदेश वापस लौट आए और स्वतंतत्रा संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.

महात्मा गांधी से मिलने के बाद सियासी सफर की शुरुआत

नेहरू जी ने साल 1916 में कमला जी से शादी कर ली. इसके एक साल बाद 1917 में होम रुल लीग से जुड़े और देश की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई. वहीं, साल 1919 में नेहरू जी पहली बार गांधी जी के संपर्क आए. यहीं से नेहरू जी की राजनीति जीवन की शुरुआत हुई. इसके बाद गांधी जी के साथ मिलकर नेहरू जी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

रात  12 बजे फहराया तिरंगा

इतिहासकारों की मानें तो लाहौर अधिवेशन के अंतर्गत पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार 31 दिसंबर, 1929 ई. को रावी नदी के तट पर तिरंगे को 12 बजे रात में फहराया था. देश की आजादी की खातिर नेहरू जी कई बार जेल गए. इसके बावजूद उनका मनोबल कम नहीं हुआ. नेहरू जी को बच्चों से बेहद लगाव था. वे बच्चों को गुलाब की फूल मानते थे. इसके चलते बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा कहते थे.

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