<p>जस्टिस नुतालपति वेंकट रमना आज सुप्रीम कोर्ट भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश बन गए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुबह 11 बजे उन्हें पद की शपथ दिलाई। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत सुप्रीम कोर्ट के कई जज उपस्थित रहे। अल्पभाषी और सौम्य स्वभाव के जस्टिस रमना का कार्यकाल लगभग 16 महीने का होगा। एनवी 2014 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी नियुक्ति से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक होगा।</p>
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<p>पिछले कुछ सालों में जस्टिस रमना का सबसे चर्चित फैसला जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का रहा है। सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेज़ सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच की अध्यक्षता भी उन्होंने ही की थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमना सदस्य रह चुके हैं। जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज की थी। इसके बाद उनकी फांसी का रास्ता साफ हुआ था। 26 नवंबर 2019 को जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़णवीस सरकार को अगले दिन विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था। इसके बाद फड़णवीस सरकार गिर गई थी।</p>
<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>कौन है नाथुलापति वेंकट रमणा</strong></span></p>
<p>जस्टिस नाथुलापति वेंकट रमणा का जन्म अविभाजित आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में अगस्त 27, 1957 को हुआ था। उन्होंने वकालत का काम 10 फरवरी, 1983 में शुरू किया था। चंद्रबाबू नायडू के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान, जस्टिस रमणा आंध्र प्रदेश सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल भी रहे थे। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले रमणा ने विज्ञान और कानून में स्नातक की डिग्रियां हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस शुरू की। राज्य सरकारों की एजेंसियों के लिए वो पैनल काउंसिल के तौर पर भी काम करते थे।</p>
<p>27 जून, 2000 को वे आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त किए गए। इसके बाद साल 2013 में 13 मार्च से लेकर 20 मई तक वो आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे। 2 सितंबर 2013 को उनकी पदोन्नति हुई और वो दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए। इसके बाद 17 फरवरी 2014 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों की पंक्ति में रिटायर हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे के बाद वो दूसरे नंबर पर थे।</p>
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