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61 साल की उम्र में नेशनल अवॉर्ड जीतने वालीं एकमात्र गायिका रही हैं लता मंगेशकर

देश- दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वालीं लता मंगेशकर आज इस दुनिया में नहीं है। हर कोई व्यक्ति उनके निधन से दुखी है और उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। साल 1942 हमें अपने करियर की शुरुआत करने वाली लता जी को फिल्म ‘महल’ के गाने ‘आने वाला आएगा’ से पहचान मिली। उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई हिट गाने दिए।

उनके करियर की ये शुरुआत मात्र 13 साल की छोटी सी उम्र में हुई थी जब उन्होंने गाना शुरू किया। लता जी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के जाने-माने व्यक्ति थे। लता जी को अपने पिता से ही संगीत की शिक्षा मिली थी। लता जी के पिता ने अपने गांव मंगेशी के नाम पर अपना उपनाम मंगेशकर रखा था। लता जी की मां का नाम श्रीमती माई था। जन्म के समय लता जी का नाम हेमा रखा गया था, लेकिन कुछ समय बाद उनके पिता ने थिएटर के कैरेक्टर लतिका के नाम पर उनका नाम लता रख दिया।

लता मंगेशकर पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी बहन थीं। उनके बाद उनकी तीन बहनें मीना मंगेशकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं। लता मंगेशकर समेत सभी भाई- बहनों ने अपनी आजीविका के रूप में संगीत को ही चुना। 13 साल की छोटी सी उम्र में ही पैसों की तंगी दूर करने के लिए लता मंगेशकर ने कुछ हिंदी और मराठी फिल्मों में काम करना शुरू किया था। परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से लता मंगेशकर ने कभी शादी नहीं की। अपने लंबे करियर के दौरान लता मंगेशकर ने कई गानों को अपनी सुरीली आवाज दी।

साल 1982 में लता जी के पिता के निधन के बाद घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई थी। इसके बाद कड़े परिश्रम से उन्होंने परिवार को भी संभाला। कम लोग ही जानते होंगे कि लता जी गायिका होने के साथ-साथ एक संगीतकार भी थीं। उनका अपना एक फिल्म प्रोडक्शन भी था, जिसके बैनर तले फिल्म ‘लेकिन’ बनी थी। इस फिल्म के लिए लता जी को सर्वश्रेष्ठ गायिका का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। 61 साल की उम्र में नेशनल अवॉर्ड जीतने वालीं लता जी एकमात्र गायिका रहीं।

साल 2001 में लता मंगेशकर को संगीत की दुनिया में अपना अमिट योगदान देने के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। इस लंबे करियर में 30,000 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी, लेकिन आज यही आवाज खामोश हो गई है।

 

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